कोविड-19 के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित नेशनल क्लीनिकल मैंनेजमेंट प्रोटोकॉल का IMA ने किया विरोध
आईएमए के अध्यक्ष ने यहां तक कहा की क्या आगे कोई केंद्रीय मंत्री अगर पॉजिटिव होते है तो वो मॉडर्न मेडिसिन की बजाय आयुष और आयुर्वेद से इलाज कराएंगे.
नई दिल्ली: स्वास्थ्य और आयुष मंत्रालय द्वारा कोविड-19 के प्रबंधन के लिए आयुर्वेद और योग पर आधारित राष्ट्रीय क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल जारी करने को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्रालय को चिट्ठी लिख कई सवाल खड़े किए हैं. आईएमए इसे जुड़े साइंटिफिक एविडेंस और डिटेल मांग रहा है.
आईएमए के अध्यक्ष ने यहां तक कहा की क्या आगे कोई केंद्रीय मंत्री अगर पॉजिटिव होते है तो वो मॉडर्न मेडिसिन की बजाय आयुष और आयुर्वेद से इलाज कराएंगे. इस बारे में एबीपी न्यूज से खास बात की आईएमए के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र शर्मा ने.
सवाल: आपने कई सवाल चिट्ठी लिखकर खड़े किए, क्या वजह है आखिर क्यों? जवाब: आयुर्वेद अपनी जगह बनाना चाहता है बनाएं लेकिन जब देश की जनता के सामने वैकल्पिक तौर पर बताया जा रहा है कि यह ऑप्शन है कोविड-19 के ट्रीटमेंट का. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जो खुद मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर हैं जब वह इसकी बात कर रहे हैं तो मैं उनसे एक बात का सीधा जवाब चाहता हूं कि अगर वह आयुष से और आयुर्वेदा से इतने संतुष्ट हैं तो पूरी कोविड-19 मैनेजमेंट को आयुष को दे देना चाहिए.
आज अगर कोविड-19 मृत्यु दर कम है तो वह मॉडर्न मेडिसिन के डॉक्टर्स के कारण, साइंटिफिक मैनेजमेंट के कारण. साइंटिफिकली आप जो बात करना चाहते हैं कीजिए. अगर आप आयुष मिनिस्ट्री और आयुर्वेदा से संतुष्ट हैं तो एक एफिडेविट दे दीजिए कि कल को अगर उनको ऐसा कुछ होता है तो उसका इलाज मॉडर्न मेडिसिन से नहीं कराएंगे. मैं यह बोलना नहीं चाहूंगा कितने केंद्रीय मंत्री एक रिटर्न ऑफ डेबिट देना चाहते हैं कि वह आयुष के जरिए ट्रीटमेंट लेना चाहते हैं.
सवाल:क्या आप कह रहे हैं कि जो रिसर्च है उसको सार्वजनिक किया जाए जवाब: मैं डॉक्टर की मौत से लेकर अब तक हर आंकड़ा मांगता हूं. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आप हमारे संगठन के इतिहास में जाएं तो हमारा स्वतंत्रता संग्राम से नाता है. आईएमए हमेशा अपना एक नैतिक दायित्व समझती है जब देश के स्वास्थ्य के बारे में कोई बात आए तो आईएमए मुखर आवाज के रूप में सामने आए.
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