दुनिया की सुस्ती के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था जिम्मेदार, IMF समेत कई एजेंसियों ने घटाया GDP अनुमान
दुनिया की जेडीपी करीब 569 लाख करोड़ की है. वहीं, भारत की अर्थव्यवस्था 19 लाख करोड़ है. यानी दुनिया की अर्थव्यवस्था का महज 3 फीसदी. ग्राणीण इलाकों की गरीबी और बैंकों की सुस्ती ने भारत की अर्थव्यवस्था को दिक्कत में डाल दिया है.
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नई दिल्ली: आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर आई है. अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भारत की जीडीपी का अनुमान घटा दिया है. आईएमएफ ने साल 2019-20 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि 6 फीसदी से घटाकर 4.8 फीसदी कर दी है. इतना ही नहीं आईएमएफ ने यह भी कहा है कि दुनिया में आर्थिक सुस्ती के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था ही जिम्मेदार है. सिर्फ आईएमएफ नहीं बल्कि इससे पहले मूडीज और यूएन समेत कई एजेंसियां भारत की वृद्धि का अनुमान घटा चुकी हैं.
2021 में सुधरकर 6.5 फीसदी रह सकती है GDP
आईएमएफ के मुताबिक, भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में कम होकर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि 2020 और 2021 में यह सुधरकर क्रमश: 5.8 फीसदी और 6.5 फीसदी रह सकती है. मुद्राकोष के अक्टूबर में जारी विश्व आर्थिक परिदृश्य के पूर्व अनुमान के मुकाबले यह आंकड़ा क्रमश: 1.2 फीसदी और 0.9 फीसदी कम है.
दो महीनों में कई एजेंसियों ने घटाया भारत का GDP अनुमान
- आईएमएफ- पिछली बार 6 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 4.8 फीसदी अनुमान
- एसबीआई- पिछली बार 5 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 4.6 फीसदी अनुमान
- यूएन- पिछली बार 7.6 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 5.7 फीसदी अनुमान
- फिच- पिछली बार 5.6 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 4.6 फीसदी अनुमान
- एडीबी- पिछली बार 6.5 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 5.1 फीसदी अनुमान
- मूडीज- पिछली बार 5.8 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 4.9 फीसदी अनुमान
- एनएसओ- पिछली बार कुछ नहीं, अब 5 फीसदी अनुमान
- वर्ल्ड बैंक- पिछली बार 6 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 5 फीसदी अनुमान
- आरबीआई- पिछली बार 6.1 फीसदी जीडीपी का अनुमान, अब 5 फीसदी अनुमान
दुनिया की जेडीपी करीब 569 लाख करोड़
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दुनिया की जेडीपी करीब 569 लाख करोड़ की है. वहीं, भारत की अर्थव्यवस्था 19 लाख करोड़ है. यानी दुनिया की अर्थव्यवस्था का महज 3 फीसदी. ग्राणीण इलाकों की गरीबी और बैंकों की सुस्ती ने भारत की अर्थव्यवस्था को दिक्कत में डाल दिया है.
आईएमएफ की मुख्य आर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत में आर्थिक अस्थिरता आई और दुनिया आर्थिक सुस्ती से गुजरने लगीं. गीता गोपीनाथ ने इसके लिए भारत में नॉन बैंकिंग फाइनेशियल सेक्टर यानी एनबीएफसी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के खराब प्रदर्शन को जिम्मेदार ठहराया है.
एनबीएफसी सेक्टर का बढ़ा एनपीए
एनबीएफसी सेक्टर, जहां नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स यानी एनपीए मार्च 2019 से सितंबर 2019 तक 6.1 फीसदी से बढ़कर 6.3 फीसदी हो गया. एनबीएफसी जैसी संस्थाओं के पैसे डूब रहे हैं तो बैंकों की हालत भी ठीक नहीं है. क्योंकि मार्च 2019 में जहां बैंकों ने 13.2 फीसदी लोगों को कर्ज बांट तो सितंबर 2019 में लोगों की कर्ज लेने की क्षमता गिरकर 8.7 फीसदी हो गई.
सरकार का लक्ष्य भारत को 50 खरब डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनना है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए 9 फीसद की जीडीपी चाहिए. साल 2019 में तो जीडीपी वृद्धि दर 5 फीसदी ही रही है जो रिजर्व बैंक के अनुमान से भी कम है.
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