नई दिल्ली: गंगा और उसकी सहायक नदियों में अब मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जा सकेगा. गंगा नदी में प्रदूषण रोकने के लिए केंद्र सरकार ने ये सख्त कदम उठाया गया है. साथ ही , विसर्जन के लिए ऐसी किसी भी मूर्तियों के निर्माण पर रोक लगाई है जो मिट्टी और पानी में प्राकृतिक तरीके से नहीं घुलते हों. प्लास्टर ऑफ पेरिस भी इसमें शामिल है.


राष्ट्रीय गंगा मिशन ने जारी किए निर्देश


राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण से बचाने के लिए ये निर्देश जारी किया है. 16 सितंबर को पर्यावरण सुरक्षा कानून के सेक्शन 5 के तहत ये निर्देश उन राज्यों को जारी किए गए हैं. जहां गंगा या उसकी सहायक नदियां बहती हों. इसमें दिल्ली भी शामिल है. निर्देश में सबसे प्रमुख बात मूर्तियों के निर्माण को लेकर ही है. मिशन के निर्देश के मुताबिक़ ऐसे किसी भी पदार्थ से मूर्तियां नहीं बनाई जा सकेंगी जो पानी और मिट्टी में घुलनशील न हों. खासकर ऐसी मूर्तियां जिनका विसर्जन गंगा या उसकी सहायक नदियों में होना है. इन पदार्थों में प्लास्टर ऑफ पेरिस , थर्मोकोल , पकाई हुई मिट्टी और रेजिन फाइबर्स शामिल हैं. विसर्जित की जानेवाली मूर्तियों को रंगने के लिए किसी भी नकली पेंट या रंग के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.


गंगा और यमुना में मूर्ति विसर्जन पर रोक


मूर्तियों के विसर्जन को लेकर भी निर्देश में काफ़ी सख़्त हिदायत दी गई है. गंगा और यमुना समेत उसकी सहायक नदियों में किसी भी तरह की मूर्ति के विसर्जन पर रोक लगा दी गई है. इन नदियों के किनारे और घाटों को पूरी तरह घेर देने का भी निर्देश दिया गया है ताकि छिटपुट तरीके से भी विसर्जन न हो सके. राज्यों को सलाह दी गई है कि इन नदियों के आसपास प्रशासन की तरफ़ से मूर्तियों के विसर्जन के लिए अस्थाई तालाब बनाए जाएं जिनकी सतह पर सिंथेटिक कपड़े बिछाए जाएं . इन तालाबों के आसपास उन जगहों का इंतजाम करने का आदेश दिया गया है जहां मूर्तियों पर लगे फूल और कपड़े या गहने जैसी चीजों को इकठ्ठा किया जा सके. विसर्जन के लिए तय किये गए इन तालाबों और जगहों की जानकारी सार्वजनिक तौर पर प्रचारित करने के लिए भी कहा गया है. इन सभी तालाबों और व इसके अलावा इन नदियों के घाटों पर तीन अलग अलग कूड़ेदान रखने का भी आदेश दिया गया है, जिनमें प्राकृतिक रूप से घुलनशील और अघुलनशील पदार्थों को इकठ्ठा किया जा सके,


दुर्गा पूजा से लागू हो जाएंगे नए निर्देश


ये निर्देश गणेश पूजा , दुर्गा पूजा , छठ पूजा , काली पूजा और सरस्वती पूजा जैसे मौकों के लिए प्रभावी होंगे. इसका मतलब ये हुआ कि 8 अक्टूबर को विजयादशमी के बाद दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन पर भी नए निर्देश लागू हो जाएंगे.



50000 रुपये का लगेगा ज़ुर्माना


इन निर्देशों को लागू करने की ज़िम्मेदारी ज़िला प्रशासन को दी गई है. इसके लिए ज़िले में एक समन्वय समिति बनाने का सुझाव दिया गया है. इस समिति में जिला प्रशासन के अधिकारियों के अलावा पोलिस , नगर निगम और स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे. इस समिति को सभी पूजा पंडालों के साथ मिलकर इस बारे में जागरूकता फ़ैलाने का भी काम दिया गया है. किसी भी आदेश के उल्लंघन के लिए जिलाधिकारी को 50000 रुपया ज़ुर्माना लगाने का अघिकार दिया गया है. ज़ुर्माने की रक़म राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास जमा करवाई जाएगी.



कौन कौन हैं गंगा की सहायक नदियां ?
गंगा के दोनों तऱफ कुल 10 नदियों को गंगा की सहायक नदियां माना जाता है. गंगा के बाएं छोर पर रामगंगा , गोमती , घाघरा, गंडक , कोसी और महानन्द जैसी नदियां मुख्य रूप से गंगा की सहायक नदियां हैं. वहीं गंगा के दाहिनी छोर पर यमुना , तमसा , सोन और पुनपुन नदी प्रमुख सहायक नदियां हैं.


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