कोरोना वायरस का असर : संसद भवन में लोगों की आवाजाही कम करने का निर्देश, दर्शक दीर्घा में बड़े समूहों का प्रवेश बन्द
लोकसभा के दर्शक दीर्घा में दर्शकों की संख्या घटाने का फ़ैसला लिया गया है. इसके लिए शैक्षणिक संस्थानों और अन्य जगहों से आने वाले दर्शकों के प्रवेश को फ़िलहाल रोक दिया गया है.
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के ख़तरे की आशंका के मद्देनज़र स्वास्थ्य मंत्रालय ने भीड़ भाड़ रोकने का निर्देश दिया है. इस निर्देश का असर अब संसद भवन पर भी पड़ने लगा है. संसद भवन में भीड़ भाड़ कम करने के लिए कई फ़ैसले लिए गए हैं. उन्हीं में से एक है दर्शक दीर्घा में भीड़ को नियंत्रित करना. इसी के तहत लोकसभा के दर्शक दीर्घा में दर्शकों की संख्या घटाने का फ़ैसला लिया गया है. इसके लिए शैक्षणिक संस्थानों और अन्य जगहों से आने वाले दर्शकों के प्रवेश को फ़िलहाल रोक दिया गया है. लोकसभा सचिवालय ने सभी सांसदों को पत्र लिखकर ऐसे किसी भी समूह के लिए पास बनवाने की सिफ़ारिश नहीं करने का आग्रह किया है. दर्शक दीर्घा में रोज़ाना औसतन 800 लोग आकर लोकसभा की कार्यवाही देखते हैं. दर्शक दीर्घा का पास बनवाने के लिए किसी सांसद की अनुशंसा ज़रूरी होती है. जो लोग दर्शक दीर्घा में आएंगे उन्हें भी संसद भवन के किसी और भाग में घूमने की इजाज़त नहीं होगी. दर्शक दीर्घा के लिए अब सफ़ेद रंग का पास जारी होगा.
सांसद का मेहमान भी संसद भवन में प्रवेश नहीं पा सकेगा
इसके अलावा संसद की सुरक्षा सर्विस ब्रांच ने भी कुछ नए नियम बनाए हैं. इस नियम के मुताबिक़ अब सांसद का अपना मेहमान भी संसद भवन के अंदर प्रवेश नहीं कर सकेगा. ऐसे मेहमानों के लिए पहली बार नीले रंग का पास जारी किया जाएगा. ऐसे लोग सांसदों से या तो संसद भवन के बाहर मिलना होगा या फिर स्वागत कक्ष या रिसेप्शन एरिया में. अपने मेहमानों को सांसद अपनी पार्टी के दफ़्तर में भी नहीं बुलाया सकेंगे.
कुछ मामलों में रहेगा अपवाद कुछ लोगों के लिए लाल रंग का पास भी जारी होगा. ऐसे लोग वो होंगे जिन्हें राज्य सभा के सभापति , लोकसभा अध्यक्ष , प्रधानमंत्री , राज्यसभा के उपसभापति , दोनों सदनों के महासचिव और संसदीय कार्य मंत्री की ओर से मिलने के लिए बुलाया गया हो. ये सभी पास केवल एक घण्टे के लिए जारी होंगे. नए नियम होली के बाद यानि इस हफ़्ते बुधवार से शुरू होने वाली कार्यवाहियों के लिए लागू होंगे. वैसे सूत्रों के मुताबिक़ ताज़ा क़दम कोरोना वायरस के ख़तरे के साथ साथ संसद और सांसदों की सुरक्षा के मद्देनज़र भी उठाया गया है.