नई दिल्ली: संसद में आज सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव आ सकता है. एनसीपी और आरजेडी ने महाभियोग प्रस्ताव के लिए जरूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर का दावा किया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस पर सियासत गरमा सकती है.
महाभियोग के नोटिस पर कांग्रेस ऊहापोह में
आज सबकी नज़रें राज्य सभा की कार्यवाही पर होंगी. लोकसभा की तरह राज्य सभा की कार्यवाही भी इस सत्र में लगभग पूरी तरह हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है. इसमें एक और मुद्दा भी जुड़ सकता है और वो है भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव.
सांसदों के हो चुके हैं हस्ताक्षर
पिछले हफ़्ते ही महाभियोग प्रस्ताव के नोटिस को लेकर सुगबुगाहट शुरू हुई है. सबसे पहले एनसीपी सांसद और वरिष्ठ वकील मजीद मेमन ने सार्वजनिक तौर पर इस बात का खुलासा करते हुए ऐलान किया कि प्रस्ताव के नोटिस पर सांसदों के हस्ताक्षर लेने का काम शुरू कर दिया गया है. उसके बाद आरजेडी के नवनिर्वाचित राज्य सभा सांसद मनोज झा ने भी दावा किया कि प्रस्ताव लाने के लिए ज़रूरी 50 सांसदों के हस्ताक्षर ले लिए गए हैं और सोमवार को इसे राज्य सभा में लाया जाएगा. तब से अब तक सूत्रों के मुताबिक एनसीपी, सपा, आरजेडी, सीपीएम और कांग्रेस के कई सांसदों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
कांग्रेस में एक राय नहीं
लेकिन इस प्रस्ताव को लाने के मुद्दे पर सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस अभी तक कोई राय नहीं बना पाई है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी के भीतर प्रस्ताव के पक्ष और विरोध में राय बंटी हुई है. राज्य सभा में विपक्ष के नेता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आजाद समेत पार्टी के कई नेता प्रस्ताव लाना चाहते हैं जबकि कपिल सिब्बल जैसे नेता अभी तक प्रस्ताव को लेकर ज्यादा सकारात्मक नहीं दिखाई पड़ते. सूत्रों के मुताबिक इस ऊहापोह की दो प्रमुख वजहें हैं.
पहला, महाभियोग प्रस्ताव को लेकर पूरे विपक्ष में फिलहाल एकजुटता नहीं दिखाई पड़ रही है. लगभग सभी मुद्दों पर साथ रहने वाली डीएमके और टीएमसी इस मुद्दे पर साथ नहीं है तो तटस्थ रहने वाली बीजेडी दीपक मिश्रा के ओड़िया पृष्ठभूमि के चलते अपने हाथ खींच चुकी है.
दूसरे, पार्टी को इस कदम के सियासी नुकसान की संभावना का भी आकलन करना पड़ रहा है. दरअसल जस्टिस मिश्रा अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे हैं. पार्टी को डर है कि उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को बीजेपी कहीं अयोध्या से जोड़ कर मुद्दा न बना ले.
सीताराम येचुरी का था विचार
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सबसे पहले जस्टिस दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ एक महाभियोग प्रस्ताव लाने का प्रस्ताव दिया था. जस्टिस मिश्रा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम जजों ने सार्वजनिक तौर पर मनमानी और पक्षपात पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया था. जज लोया की मौत को लेकर हो रही सुनवाई पर इन जजों की सार्वजनिक टिप्पणी के बाद सीताराम येचुरी ने महाभियोग प्रस्ताव का विचार विपक्षी दलों के सामने रखा था.