नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस और उसके मित्रों ने महाभियोग को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया है. उन्होंने कहा कि महाभियोग प्रस्ताव से साफ है कि जज लोया मामले में याचिका बदले भावना से जजों को डराने के लिए दायर की गई. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने ब्लॉग में लिखा कि महाभियोग का मामला कदाचार के स्थापित मामलों में चलाया जाता है. ‘‘इस बारे में मेरी प्रारंभिक प्रतिक्रिया यह है कि जब आपके पास कदाचार का कोई मामला स्थापित नहीं हो और न ही संख्या बल आपके पक्ष में हो, तब इस शक्ति को डराने के हथकंडे के रूप में इस्तेमाल करना न्यायिक स्वतंत्रता के समक्ष गंभीर खतरा है.’’


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जेटली ने कहा कि जज लोया की मौत के मामले में कांग्रेस पार्टी का झूठ स्थापित होने के बाद दायर की गयी यह याचिका बदले की भावना से प्रेरित है. उन्होंने कहा, ‘‘यह न्यायाधीशों को डराने और दूसरे न्यायाधीशों को संदेश देने का प्रयास है कि अगर आप मेरी बात से सहमत नहीं होंगे तब 50 सांसद बदले की कार्रवाई के लिये पर्याप्त हैं.’’ बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि इसमें कुछ आरोप पुराने और महत्वहीन हैं और इनका न्यायिक कामकाज से कुछ भी लेनादेना नहीं है.


वित्त मंत्री ने कहा कि जज लोया की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता के बीच और राजनीतिक क्षेत्र में दुष्प्रचार की साजिश का खुलासा करता है. महाभियोग मामले को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि महाभियोग के बारे में कोई भी निर्णय पार्टी लाइन या व्हीप के आधार पर नहीं किया जा सकता है.


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गौरतलब है कि कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी दलों ने आज भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया है. महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें सात सदस्य रिटायर हो चुके हैं. महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, एनसीपी, सीपीएम, सीपीआई, एसपी, बीएसपी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सदस्य शामिल हैं.


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अरुण जेटली ने कहा कि अगर संस्थानों में बाधा डालने वालों और महाभियोग प्रस्ताव से धमकाने वाले हथकंडे न्यायिक स्वतंत्रता के लिये खतरे हैं और इसका एकमात्र खतरा विभाजित अदालत को है. उन्होंने कहा कि अब जबकि जज लोया के मामले में स्थिति स्पष्ट हो गई है तब मेरे मन में कुछ बातें सामने आ रही हैं. प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीश सभी अनुभवी और उच्च गारिमा वाले व्यक्ति हैं. क्या उन्होंने टिप्पणी करने से पहले तथ्यों की जांच परख की?


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वित्त मंत्री ने सवाल किया कि क्या आज पेश महाभियोग का प्रस्ताव उस प्रेस कांफ्रेंस का सीधा परिणाम था? क्या महाभियोग की पहल यह चलन स्थापित करता है कि भारत में राजनीतिक दल महाभियोग को विवादास्पद मामलों में न्यायाधीशों को डराने के हथियार के रूप में इस्तेमाल करेंगे? जेटली ने कहा कि इस संबंध में कुछ लोगों के दुस्साहस की कीमत भारतीय न्यायपालिका को चुकानी पड़ेगी.