नई दिल्ली: गलवान घाटी की पहली बरसी के तुरंत बाद थलसेना चीन सीमा और पाकिस्तानी से सटी एलओसी के हालात पर एक महत्वपूर्ण सम्मेलन करने जा रही है. दो दिन तक चलने वाले आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (एसीसी) की अध्यक्षता खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे करेंगे और इसमें सेना की सभी सातों कमान के कमांडर और सेना मुख्यालय में तैनात सभी महानिदेशक स्तर के प्रिसिंपल स्टाफ ऑफिसर हिस्सा लेंगे.


एक संक्षिप्त बयान में थलसेना ने कहा कि “उत्तरी (चीन) और पश्चिमी (पाकिस्तानी) सीमा के ऑपरेशनल हालात की समीक्षा के लिए 17-18 जून को राजधानी दिल्ली में आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस (एसीसी-21) आयोजित की जाएगी.”


सूत्रों के मुताबिक, एसीसी हर छह महीने में की जाती है. लेकिन उन सम्मेलन में ऑपरेशनल तैयारियों के अलावा, ट्रेनिंग, आधुनिकिकरण, स्वदेशी हथियार, प्रशासनिक और मानव-संसाधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती रही है. लेकिन सूत्रों के मुताबिक, गुरूवार और शुक्रवार को होने वाला सम्मेलन सिर्फ और सिर्फ ऑपरेशनल क्षमताओं पर चर्चा करेगा. इसके अलावा एचआर यानि ह्यूमन रिसोर्स (मानव संसाधन) पर भी थोड़ी चर्चा हो सकती है. इसके अलावा कोई और मुद्दा इस कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का हिस्सा नहीं होगा.


बता दें कि मंगलवार को ही गलवान घाटी की हिंसा की पहली बरसी थी. हालांकि, चीन से सटी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर पहले चरण का डिसइंगेजमेंट हो चुका है, लेकिन चीनी सेना अब एलएसी के दूसरे विवादित इलाकों से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में एलएसी पर एक बार फिर से तनाव बन गया है. वहीं एलएसी के करीब ही कुछ दिनों पहले ही चीन और पाकिस्तान की वायुसेनाओं ने एयर-डिफेंस को लेकर एक बड़ी मिलिट्री एक्सरसाइज की थी.


हालांकि, भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हुए युद्धविराम समझौते के बाद से एलओसी पर शांति छाई हुई है. लेकिन खबर है कि पाकिस्तानी सेना एक बार फिर से एलओसी पर अपनी तैनाती मजबूत करने में जुटी है. पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर से कश्मीर का राग अलापना शुरू कर दिया है. ऐसे में एलओसी की सुरक्षा भी बेहद अहम हो जाती है.


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