नई दिल्लीः देशभर में जनगणना और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर यानी एनपीआर दोनों का काम एक साथ शुरू किया जाएगा. दोनों के फार्म अलग अलग होंगे और दोनों ही प्रक्रिया 1 अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक चलेंगी. अभी तक कुछ राज्यों ने इसका विरोध किया है लेकिन सरकार का दावा है कि अभी समय बाकी है और आने वाले समय में राज्यों के व्यवहार में सुधार आ जाएगा. सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस दौरान ना तो कोई बायोमेट्रिक लिया जाएगा और ना ही कोई दस्तावेज मांगा जाएगा.


जनगणना-
2021 शुरू होने के बाद पहले चरण में हाउसहोल्ड को चिन्हित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, पहला फेज 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक के बीच में किया जाएगा जिसका नाम हाउसहोल्ड लिस्टिंग है.


सेंसस के पहले चरण में हाउसहोल्ड स्पेसेफिक होंगे न कि इंडिविजुअल स्पेसेफिक जिसमें घर का मुखिया कौन है, घर में कौन कौन सी सुविधा है, कितने लोग हैं,ऐसे सवाल होंगे.


दूसरा चरण 2021 फरवरी में होगा जिसमें इंडिविजुअल सवाल होंगे, पहले चरण में घर में कितने लोग रह रहे हैं इसका आइडिया लिया जाएगा ताकि ये पता चल सके कि गणना करनेवाला शख्स कितनी जनसंख्या कवर कर रहा है.


2021 सेंसस में डिफिकल्ट एरिया में सरकारी नुमाइंदे हेलीकाप्टर से भी जाएंगे, हालाकि पिछली बार 2011 के सेंसस में भी इसका इस्तेमाल हुआ था, लेकिन इस बार विस्त्रित तरीके से इसका इस्तेमाल होगा


सूत्रों का कहना है कि


-हाउसलिस्टिंग प्रक्रिया जो कि पहले चरण की है उसमें 31 टॉपिक कवर करते हुए 34 सवाल होंगे.


-घर में इंटरनेट है या नहीं, मेल- फीमेल या ट्रांसजेंडर कौन घर का मुखिया होगा, सोर्स आफ ड्रिंकिंग वाटर पैकेज या सप्लाई है, ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो सेंसस के पहले चरण में पूछे जाएंगे.


-इसके अलावा ये भी सवाल पहली बार पूछे जाएंगे घर में मौजूद शौचालय कंबाइन्ड हैं या सिर्फ इसी घर के लिए, घर के मालिक का कहीं और घर है, किचन में एलपीजी कनेक्शन है या नहीं और मेन सोर्स आफ कुकिंग एनर्जी क्या है, रेडियो या टीवी किस डिवाइस पर उपयोग किया जा रहा है मोबाइल या किसी और पर, टीवी डीटीएच या किससे कनेक्टेड है, बैंक अकाउंट के बारे में हर इंडिविजुअल से पूछा जाएगा, घर में मोबाइल नंबर देना चाहें दो दे तो घर के लोग दे सकते हैं.


-पहली बार ये डिजिटल सेंसस होगा जिसमें मोबाइल के जरिए डेटा गणना के अधिकारी ले सकेंगे,डिजिटल सेंसस होगा, सेंसस के लिए विशेष ऐप 2020 ऐप अधिकारियों के पास होगा जिसका वो इस्तेमाल करेंगे, खास ऐप सरकार ने विकसित किया है जो गणना अधिकारियों को अपने मोबाइल पर डाउनलोड करना होगा.


चार फेज में ट्रेनिंग होगी नेशनल ट्रेनर, मास्टर ट्रेनर, फील्ड ट्रेनर और इन्यूमिनेटर इन चार स्तर पर गणना अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाएगी जिसमें नेशनल ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है.


पहले चरण में 30 लाख कर्मचारी इस काम में करेंगे, पिछली बार एनपीआर को छोड़कर गणना अधिकारी को 5500 मिले थे. इस बार गणना करनेवाला अधिकारी हाउसलिस्टिंग, सेंसस का काम और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर का काम करेगा तो उसे 25000 मिलेंगे.


नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया भी 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक चलेगी.


पश्चिम बंगाल और केरल ने नेशनल पापुलेशन रजिस्टर न लागू करने की बात राज्य में अधिकारिक स्तर पर कही है और रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया को इसकी जानकारी मिली है, बाकी सारे राज्यों ने नेशनल पापुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया को नोटिफाई कर दिया है.


एनपीआर में कोई बायोमेट्रिक नहीं मांगा जा रहा है. कोई सबूत नहीं मांगा जाएगा. सरकार ने देश भर के 73 जिलों में एनपीआर का प्री टेस्ट कराया था जिसके आधार पर एनपीआर का फाइनल फॉर्म तैयार किया जा रहा है.


एनपीआर और जनगणना के लिए 1 अप्रैल 2020 से लेकर 30 सितंबर 2020 तक का समय तय किया गया है. यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह प्रक्रिया किसी भी राज्य को 45 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी. राज्य अपनी अपनी सुविधा के हिसाब से 1 अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 के बीच का कोई भी 45 दिन का समय चुन सकते हैं.


जनगणना का फार्म भरते समय एक अंडरटेकिंग भी देनी होगी जिसमें साफ तौर पर कहा जाएगा कि जो भी जानकारी दी जा रही है वह पूरी तरह से सही है. यह भी दिलचस्प है कि यदि सरकार चाहे तो गलत जानकारी देने पर कार्रवाई कर सकती है.