संसद में विरोध प्रदर्शन के चलते अहम मुद्दों की भी हो रही है अनदेखी
बीजेपी सांसद अशोक वाजपेई ने एक सवाल पूछा कि देश में हर साल राष्ट्रीय राजमार्गों पर कितनी दुर्घटनाएं होती हैं और उसको रोकने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं, लेकिन इस दौरान लगातार संसद में हंगामा चलता रहा. संसद में विपक्षी दलों का प्रदर्शन और हंगामा इतना ज्यादा था कि केंद्रीय मंत्री का जवाब सुनना भी मुश्किल हो गया था.
नई दिल्ली: देश में हर साल करीबन 5 लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं जिनमें करीब डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवा देते हैं. इन 5 लाख में करीबन 1.5 लाख सड़क दुर्घटनाएं राष्ट्रीय राजमार्गों पर होती है और इन दुर्घटनाओं में भी हर साल हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं. लेकिन हमारे जनप्रतिनिधि हमारी जान से जुड़े इस मुद्दे को लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाज़ा राज्यसभा की कार्रवाई को देखकर लगाया जा सकता है. राज्यसभा में सोमवार को बीजेपी सांसद अशोक वाजपेई ने एक सवाल पूछा कि देश में हर साल राष्ट्रीय राजमार्गों पर कितनी दुर्घटनाएं होती हैं और उसको रोकने के लिए केंद्र सरकार ने अब तक क्या कदम उठाए हैं, लेकिन इस दौरान लगातार संसद में हंगामा चलता रहा. हालत यह थी की सांसद को जनता से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए भी अपनी आवाज मंत्री तक पहुंचाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी.
बीजेपी सांसद के सवाल पर केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जवाब देना शुरू किया. लेकिन संसद में विपक्षी दलों का प्रदर्शन और हंगामा इतना ज्यादा था कि केंद्रीय मंत्री का जवाब सुनना भी मुश्किल हो गया था. हालत यह थी कि जैसे-जैसे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपना जवाब सदन के सामने रखा और उसके बाद ही राज्यसभा की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया.
हालांकि, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में जो बयान दिया वह तो शायद ही किसी को हंगामे के चलते समझ में आया हो. लेकिन सीधे तौर पर यह जानकारी करोड़ों लोगों से जुड़ी है लिहाजा केंद्रीय परिवहन मंत्री के दिए गए इस बयान की एबीपी न्यूज़ ने जानकारी निकाली है. क्योंकि सांसदों के हंगामे के चलते जो जानकारी देश के सामने नहीं आ पाई हम चाहते हैं कि वह जानकारी आपके सामने आए जिससे कि पता चल पाए कि केंद्र सरकार जनता की जान को सुरक्षित करने के लिए क्या कर रही है और क्या नहीं. इसके अलावा क्या कुछ और किए जाने की जरूरत है.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जो जानकारी सदन के सामने रखी लेकिन हंगामे के चलते नहीं समझ में आ पाई उसके मुताबिक
* साल 2015 में 142268 दुर्घटनाएं हुईं
* साल 2016 में 142359 दुर्घटनाएं हुईं
* साल 2017 में 141466 दुर्घटनाएं हुईं
* साल 2018 में 140843 दुर्घटनाएं
राष्ट्रीय राजमार्ग पर हुई और इनको रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं. केंद्र सरकार के मुताबिक इन कदमों के चलते ही पिछले 4 सालों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही दुर्घटनाओं में कमी आई है.
* जागरूकता फैलाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से सड़क सुरक्षा पर प्रचार अभियान चलाया जा रहा है
* गुड समार्टियन की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए.
* राज्यों में आदर्श ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की गई.
* एक ऐप 'सुखद यात्रा 1033' शुरू की गई इसके जरिए राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं सहित गड्ढों और अन्य सुरक्षा खतरों की जानकारी दी जा सकती है.
* सड़क सुरक्षा को योजना स्तर पर सड़क डिजाइन के एक अभिन्न भाग के रूप में शामिल किया गया.
* वाहनों के लिए सुरक्षा मानकों में सुधार किया गया है.
* राष्ट्रीय राजमार्गों पर ब्लैक स्पॉट की पहचान और जिसके चलते वह ब्लैक स्पॉट बने हुए हैं उन कमियों को दूर करने की तरफ कदम उठाए गए.
* राज्य मार्ग पर चलने वाले बस चालकों और ट्रक चालकों के लिए निशुल्क जांच शिविर और चश्मा का वितरण का कार्यक्रम चलाया गया.
* इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार हाईवे से शराब की दुकानों को दूर किया गया.
जिस वक़्त नितिन गडकरी ये सारी जानकारी सदन के सामने रख रहे थे विपक्ष सोनभद्र में हुए हत्याकांड को लेकर और प्रियंका गांधी को हिरासत में लेने को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ सदन में नारेबाजी कर रहा था. हालत यह थी कि नितिन गडकरी को जवाब देना भी मुश्किल हो गया. इस सब के बीच यह सवाल उठाने वाले बीजेपी के सांसद अशोक वाजपेई का कहना था कि वह तो सरकार के सामने कुछ सुझाव भी रखना चाहते थे लेकिन हंगामे के चलते हैं ऐसा हो ही नहीं पाया. लेकिन विपक्ष को इसमें कोई बुराई नजर नहीं आती. विपक्ष का कहना है कि मुद्दे तो सभी गंभीर होते हैं लेकिन सरकार के खिलाफ आवाज उठाना उनका अधिकार है.
सांसद का काम होता है जनता के मुद्दों को उठाना और विपक्ष का भी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाकर उसके सकारात्मक बदलाव करवाने की मांग करना उसका हक है लेकिन ऐसे गंभीर मुद्दों की क्या अनदेखी करना ठीक है?
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