नई दिल्लीः भारत के हाथों पाकिस्तान की करारी शिकस्त और बांग्लादेश जन्म के स्वर्ण जयंती वर्ष में दिल्ली और ढाका अपनी साझेदारी का नया रोडमैप तैयार करेंगे. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच आज होने वाली रणनीतिक वार्ता में कनेक्टिविटी से लेकर कारोबारी और आर्थिक सहयोग की परियोजनाओं का आगाज करेंगे. दोनों देशों की इस महत्वपूर्ण शिखर वार्ता के दौरान हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक का भी उद्घाटन किया जाएगा.


भारत-बांग्लादेश शिखर वार्ता की तैयारियों से वाकिफ सूत्रों के मुताबिक कोविड-19 के बाद के बदले परिदृश्य में दोनों मुल्कों के संबंधों का नया अध्याय शुरु करने का प्रयास किया जा रहा है. इस कड़ी में संस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों से लेकर नई कनेक्टिविटी और आर्थिक साझेदारी की योजनाओं पर जोर दिया गया है. दोनों देशों के बीच 1965 से पहले की सभी रेल परियोजनाएं 2022 तक काम करने लगेंगी. 17 दिसंबर को होने वाली शिखर वार्ता में दोनों प्रधानमंत्री हल्दीबाड़ी-चिल्हाटी रेल लिंक को हरी झंडी दिखाएंगे. वहीं पूर्वोत्तर में त्रिपुरा को बांग्लादेश से जोड़ने वाली अखूरा- अगरतला रेल लिंक के कामकाज की भी समीक्षा होगी जिसे 2021 तक शुरु किया जाना है.


जारी होगा बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान पर स्मृति डाक टिकट


सूत्रों के मुताबिक शिखर वार्ता के दौरान जहां बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान पर एक स्मृति डाक टिकट जारी किया जाएगा. वहीं दोनों देशों के राष्ट्रपिता की स्मृतियों पर एक विशेष प्रदर्शनी बंगबंधु-बापू डिजिटल एग्जिबिशन का भी उद्घाटन किया जाएगा. इस प्रदर्शनी में जहां महात्मा गांधी और बंगबंधु के जीवन कृतित्व का छायांकन है, वहीं बंगमाता और बा के योगदान को भी उभारा गया है. इसके अलवा प्रदर्शिनि में बांग्लादेश के मुक्तिसंग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं और बलिदानों को संजोया गया है, जिसमें तीस लाख लोग मारे गए थे और 2 लाख दुष्कर्म की घटनाएं हुई थीं. इस प्रदर्शिनी को नई दिल्ली के अलावा बांग्लादेश के कई अन्य शहरों और संयुक्त राष्ट्र संघ में भी ले जाया जाएगा. इसका समापन 2022 में कोलकाता में होगा.


कनेक्टिविटी


बीते कुछ समय के दौरान भारत और बांग्लादेश के रिश्तों का एक अहम पहलू आपसी संपर्क के तानेबाने को मजबूत करने पर रहा है. इसके लिए दोनों देश रेल से लेकर नदियों के रास्ते पोत परिवहन मार्गों पर खासा जोर दे रहे हैं. इस कड़ी में भारत और मौजूदा बांग्लादेश के इलाकों को जोड़ने वाली उन पुरानी रेल लाइनों को एक बार फिर सक्रिय किया जा रहा है जिन्हें 1965 के युद्ध में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान ने बंद कर दिया था. अब तक 6 में से पांच रेल लाइनों सक्रिय कर दी गई हैं. इस फेहरिस्त में बची करीमगंज से महिसाशन तक जाने वाली रेल लाइन को भी 2022 तक चालू कर दिया जाना है.


बांग्लादेश के रेल ढांचे को मजबूत करने के लिए भारत ने जुलाई 2020 में ही दस इंजन मुहैया कराए हैं. रेल ही नहीं जल मार्ग के रास्ते भी दोनों देशों के बीच लोगों और सामान की आवाजाही सुगम हो सके इसके लिए इनलैंड वॉटर-वे परियोजनाओं को बढ़ाया जा रहा है. ध्यान रहे कि बीते दिनों चट्टोग्राम बंदरगाह के इस्तेमाल पर हुए समझौते के बाद बांग्लादेश से भारत में त्रिपुरा के बीच सामान की आवाजाही शुरु हुई है. इसके अलावा सोनामुरा-दौड़कंडी के बीच भी कार्गो आवाजाही का सफल परीक्षण सितंबर 2020 में किया जा चुका है. यह दोनों देशों के बीच अंतर्देशीय जलमार्ग व्यापार व आवाजाही पर मौजूद प्रोटोकॉल का हिस्सा हैं.


भारत की कोशिश भूटान, बांग्लादेश और नेपाल को भी बीबीआइएन कनेक्टिविटी लिंक से जोड़ने की है. इसके लिए बीबीआईएन मोटर व्हीकल एग्रीमेंट के लिए यात्री परिवहन औऱ कार्गो आवाजाही के प्रोटोकॉल को तय किया जा रहा है.


आर्थिक सहयोग


बांग्लादेश के साथ संपर्क के नए पुल बनाने की कोशिशों के साथ भारत अपने पड़ोसी मुल्क के लिए आर्थिक मदद का भी मजबूत हाथ आगे बढ़ा रहा है. इससे जहां भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और बांग्लादेश के बीच नई कारोबारी संभावना के दरवाजे खुलेंगे. वहीं 2024 तक पिछड़े देश से विकासशील देश बनने की बांग्लादेश की कोशिशों को भी मदद मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच 17 दिसंबर को होने वाली शिखर वार्ता में पारंपरिक उद्योगों के क्षेत्र में सहयोग के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी संचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे नए मोर्चों पर भी साझेदारी बढ़ाने पर चर्चा होगी. इस कड़ी में दोनों देशों के बीच भारत-बांग्लादेश सीईओ फोरम की रिपोर्ट को भी मंजूरी दी जाएगी जिसमें इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी को आपसी सहयोग के लिए एक प्राथमिकता क्षेत्र बताया गया है.


इसके अलावा भारत की कई कंपनियां बांग्लादेश में विशेष आर्थिक जोन स्थापित करने के लिए आई हैं. वहीं आवाजाही की बढ़ती सहूलियतों के चलते कई भारतीय कंपनियों के अपनी निर्माण इकाइयां बांग्लादेश में लगाने की भी प्रबल संभावना जताई जा रही है.


दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की यह वार्ता वर्चुअल होगी. हालांकि साल की शुरुआत में बंग बंधु शताब्दी समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ढाका जाने का कार्यक्रम था जो बाद में कोरोना संकट के कारण टल गया था. हालांकि इस बीच भारत और बांग्लादेश के बीच सक्रिय संवाद और संपर्क बना रहा. बीते दिनों विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी बांग्लादेश गए थे.


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