नई दिल्ली: सीएए पर देश के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन जारी है वहीं अब असम के वित्त मंत्री और बीजेपी के नेता हिमंत बिस्वा ने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न का सुबूत देना असंभव है. उन्होंने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न का शिकार कोई वापस बांग्लादेश जाएगा और पुलिस रिपोर्ट की कॉपी लाएगा, ये कैसे संभव है.


दरअसल अपने एक बयान में हिमंत बिस्वा ने कहा था कि सीएए के लिए ये कैसे साबित किया जाएगा कि कोई धार्मिक उत्पीड़न का शिकार है और अपने देश में डर के कारण भारत आया है.


यूपीः शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ में प्रदर्शन, पुलिस ने जब्त किया प्रदर्शनकारियों का सामान


इसी बयान पर जब बिस्वा से सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि अगर किसी को धार्मिक उत्पीड़न साबित करना है तो उसे बांग्लादेश जाना होगा और पुलिस रिपोर्ट लानी होगी लेकिन पुलिस उसे रिपोर्ट की कॉपी क्यों देगी. इसलिए मैंने कहा था कि इसे साबित करना सभव नहीं है.


बिस्वा ने कहा कि नागरिकता के लिए जब कोई आवेदन करता है तो इसके लिए तीन मापदंड हैं. पहला कि आवेदक हिंदू, जैन, पारसी, ईसाई, बौद्ध या सिख हो. दूसरा कि वो पाकिस्तान, अफगानिस्तान या बांग्लादेश का हो. तीसरा कि 31 दिसंबर 2014 से पहले से वो भारत में रहता हो.


फ्लिपकार्ट और अमेजन पर शुरू हुई सेल, मिल रहा है 80% तक डिस्काउंट, बैंक बेनिफिट्स और भी बहुत कुछ


उन्होंने कहा कि इन तीनों के अलावा कोई मापदंड नहीं है और कोई शख्स प्रमाण नहीं दे सकता कि वो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार था.


आपको बता दें कि पिछले दिनों सरकार ने सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून बनाया है जिसका देश भर में विरोध हो रहा है. कहा जा रहा है कि ये कानून संविधान की मूल भावना के खिलाफ है और धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है.


हालांकि काफी लोग ऐसे भी हैं जो कानून के पक्ष में हैं. इस निर्णय से शरणार्थी भी काफी खुश हैं. सरकार सीएए से पीछे हटती नहीं दिख रही है वहीं एनआरसी पर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है.