नई दिल्लीः दिल्ली में यमुना के पानी की गुणवत्ता सुधरी है. नदी का पानी स्वच्छ रखने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी गई. पिछले हफ्ते दिल्ली जल बोर्ड ने पानी में अमोनिया का स्तर खतरनाक स्तर तक जा पहुंचने की शिकायत की थी. आज कोर्ट को बताया गया कि फिलहाल अमोनिया स्तर स्वीकार्य लेवल से भी काफी बेहतर हो गया है.
दिल्ली ने की थी हरियाणा की शिकायत
पिछले हफ्ते दिल्ली जल बोर्ड ने कहा था कि पड़ोसी राज्य हरियाणा की लापरवाही के चलते 25 दिसंबर को यमुना में अमोनिया का स्तर 12 पीपीएम पहुंच गया था. इसके चलते दिल्ली के घरों में आपूर्ति से पहले पानी की सफाई करने वाले प्लांट सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे थे. इस तरह के पानी के इस्तेमाल से लोगों को कैंसर हो सकता है.
कोर्ट ने लिया संज्ञान
कोर्ट ने मसले को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा को नोटिस जारी किया था. साथ ही, वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा को मामले में अपनी सहायता के लिए एमिकस क्यूरी यानी न्याय मित्र नियुक्त किया था. कोर्ट ने यह भी कहा था कि वह बाकी नदियों में प्रदूषण के मसले पर भी विस्तृत सुनवाई करेगा.
अमोनिया स्तर में काफी सुधार
आज एमिकस क्यूरी मीनाक्षी अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि 18 जनवरी यमुना के पानी में अमोनिया का स्तर 0.3 पीपीएम दर्ज किया गया है. अमोनिया- अच्छा यह स्वीकार्य स्तर 0.9 पीपीएम से भी काफी बेहतर है. इससे पता चलता है कि सरकारी इच्छा शक्ति से स्थिति में सुधार हो सकता है.
हरियाणा ने किया कड़ा विरोध
हरियाणा सरकार के लिए पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने राज्य पर दिल्ली जल बोर्ड के आरोप का कड़ा विरोध किया. उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि हरियाणा दिल्ली को जिस नहर से पानी सप्लाई करता है, उसे औद्योगिक प्रदूषण से पूरी तरह मुक्त रखा गया है. हरियाँ न सिर्फ साफ पानी दे रहा गया, बल्कि तय समझौते से से ज़्यादा पानी भी दे रहा है. पानी का प्रदूषण खुद दिल्ली में होता है. लेकिन आरोप हरियाणा पर लगाया जा रहा है.
दिल्ली प्रदूषण का असली ज़िम्मेदार
हरियाणा के वकील ने मामले में लिखित जवाब दाखिल करने की अनुमति मांगी इसे कोर्टने स्वीकार कर लिया. केंद्र की तरफ से मौजूद एडिशनल सॉलिसीटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने भी कोर्ट से कहा कि दिल्ली यमुना में प्रदूषण के मामले में आदतन अपराधी रहा है. यहां तमाम नालों का पानी बिना सफाई यमुना में छोड़ा जा रहा है. लेकिन दिल्ली जल बोर्ड दूसरे राज्यों पर गंदगी का ठीकरा फोड़ना चाहता है.
2 हफ्ते टली सुनवाई
चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े को अध्यक्षता वाली बेंच ने हरियाणा और केंद्र को जवाब दाखिल करने का समय देते हुए सुनवाई 2 हफ्ते के लिए टाल दी. एमिकस क्यूरी ने बेंच को बताया कि राष्ट्रीय हरित आयोग यानी एनजीटी ने 2 सदस्यीय 'रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमिटी' बनाई है. इसकी अध्यक्ष दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव शैलजा चंद्रा हैं. एनजीटी के पूर्व तकनीकी विशेषज्ञ बी एस सजवान भी कमिटी में शामिल हैं. अरोड़ा ने कोर्ट को सलाह दी कि वह इस कमिटी से रिपोर्ट मांगे. साथ ही, इसमें हरियाणा से भी 2 सदस्य शामिल करे.
कमिटी से रिपोर्ट तलब
कोर्ट ने 'रिवर यमुना मॉनिटरिंग कमिटी' को भी नदी की स्थिति पर रिपोर्ट देने के लिए कहा. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि अब तक कमिटी की सिफारिशों का कितना पालन हुआ है. आदेश में कहा गया है कि कमिटी ही अपने यहां नियुक्ति के लिए दूसरे सदस्यों और सिफारिश दे.
बाकी नदियों पर भी सुनवाई के संकेत
भविष्य में यमुना के अलावा बाकी नदियों पर भी सुनवाई के संकेत देते हुए आज कोर्ट ने राजस्थान और मध्य प्रदेश को भी मामले में पक्ष बनाया. दोनों राज्यों से उनके यहां की स्थिति पर जवाब देने के लिए कहा गया है. मामले में आगे की सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी.
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