नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मंचों से बार-बार कश्मीर का राग अलापना पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की शायद मजबूरी बन चुकी है. एक तरफ पाक अधिकृत कश्मीर का अवाम सरकार की नीतियों से आज़िज़ आ चुका है, तो वहीं बलूचिस्तान में इमरान सरकार के खिलाफ  भी विद्रोह की चिंगारी भड़कती जा रही है.


गरीबी,तंगहाली व बेरोजगारी से जूझते दोनों ही इलाके के लोग यह इज़हार कर चुके हैं कि इससे बेहतर है कि हिंदुस्तान उन्हें अपना ले. इमरान को भी यह डर सता रहा है कि अगर हालात ऐसे रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब ये इलाके भारत के नक्शे का हिस्सा बन जायेंगे. कश्मीर के मसले पर इस्लामिक मुल्क पहले ही खुद को अलग कर चुके हैं.


श्रीलंका के निवेश सम्मेलन के मंच से इमरान ने कश्मीर मुद्दे का समाधान बातचीत के जरिए हल करने की पेशकश को तो दोहराया लेकिन एक बार भी यह नहीं कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह नहीं देगा. जबकि भारत अनेकों बार यह साफ कर चुका है कि आतंकवाद और बातचीत, दोनों साथ-साथ नहीं हो सकते.


भारत ने अपनी स्पष्ट नीति को कई बार दोहराया है कि आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैम्प पूरी तरह से खत्म किए बगैर वह पाकिस्तान से कोई चर्चा नहीं करेगा. साथ ही हर बार यह स्पष्ट किया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और यह चर्चा का विषय नहीं है. आतंकियों को पालने-पोसने वाली पाक सेना व आईएसआई पर इमरान का पूरी तरह से कंट्रोल नहीं है, लिहाज़ा न तो वे खुलकर आतंकवाद के खिलाफ बोलते हैं और न ही उनके ट्रेनिंग कैम्पों को ख़त्म करने की पहल करने की हिम्मत जुटा पाते हैं.


करीब ढाई साल के अपने कार्यकाल में इमरान खान दर्जनों मर्तबा कश्मीर का राग अलाप चुके हैं. गत पांच फरवरी को उन्होंने ट्वीट किया था कि भारत ने पिछले सात दशकों में कश्मीर के लोगों की आवाज को दबाया है.


जम्मू-कश्मीर को लेकर लगातार कई ट्वीट करने वाले इमरान ने यह भी कहा कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के नियमों के तहत जम्मू-कश्मीर के मसले का हल चाहता है. भारत को एक बार फिर गीदड़ भभकी देते हुए इमरान ने कहा कि कश्मीर की नई पीढ़ी अपनी लड़ाई लड़ रही है और पाकिस्तान उनके साथ है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अपनी ओर से शांति के लिए दो कदम बढ़ाने के लिए तैयार है.


इमरान खान ने ऐसे समय पर ये ट्वीट किए जब कुछ दिन पहले ही पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल कमर बाजवा ने अपने बयान से हर किसी को चौंका दिया था. बाजवा ने एक संबोधन में कहा था कि वक्त आ गया है कि क्षेत्र के सभी विवादों का शांतिपूर्ण तरीके से हल होना चाहिए, ताकि दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाया जा सके. पाकिस्तान कश्मीर के लोगों का साथ देगा.


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