'मैं आईना हूं दिखाऊंगा दाग चेहरों के, जिसे  बुरा लगे वो सामने से हट जाए' राज्यसभा में कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ ने यह कविता पढ़ते हुए एनडीए सरकार के अमृतकाल के दावे पर एक के बाद एक कई सवाल खड़े किए. मणिपुर, हाथरस, बिलकीस बानो, पेपर लीक और रोजगार जैसे मुद्दों का जिक्र करते हुए उन्होंने सरकार को घेरा. 


राष्ट्रपति के अभिभाषण को लेकर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, 'सरकारी भाषण की मजबूरियां होती हैं, सरकार की तारीफ करनी पड़ती है, लेकिन जिस एक शब्द के इर्द-गिर्द पूरा भाषण बुना गया था वो था अमृतकाल. सभापति महोदय छात्र नौकरी मांगने पर लाठियां खा रहे हैं, दो जून की रोटी मुहाल है, पेपर लीक ने लाखों छात्रों का भविष्य चोपट कर दिया है और देश को बताया जा रहा है कि अमृतकाल आया है.'


मणिपुर और हाथरस में बलात्कार की घटनाओं का जिक्र करते हुए इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, 'कभी-कभी मेरा मन करता है कि मणिपुर में निर्वस्त्र करके घुमाई गई बेटियों से पूछूं कि अमृतकाल आया है या नहीं आया है, कभी-कभी मेरा मन करता है कि देश के लिए ओलंपिक लाने वाली बेटियां, जो इसी जंतर-मंतर पर घसीटी गईं, उनसे पूछूं कि अमृतकाल आया है या नहीं आया है. कभी-कभी मेरा मन करता है कि रात के दो बजे बिना परिवार की मर्जी के हाथरस में जलाई गई उस बिटिया को स्वर्ग में संदेशा भेजूं और पूछूं कि आया हुआ अमृतकाल तुम्हें दिख रहा है या नहीं दिख रहा है. कभी-कभी मन करता है कि मैं बिलकीस बानो से पूछूं कि देश में आया हुआ अमृतकाल तुम्हें नजर आ रहा है या नहीं.' 


लोकसभा चुनाव और नतीजों को लेकर भी इमरान प्रतापगढ़ी ने सरकार को घेरा और कहा कि सभापति महोदय दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का महापर्व चुनाव गुजर चुका है. कांग्रेस मुक्त भारत का नारा लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पथराई आंखों से किंकर्तव्यविमूढ़ होकर समीक्षा करने में लगे हुए हैं कि आखिर कसर कहां रह गई.


उन्होंने आगे कहा, 'सारे प्रहसन किए गए भाषा की मर्यादा को तार-तार किया गया. एक पूरी कौम को घुसपैठिया पुकारा गया.  मछली, मंगलसूत्र, भैंस से होते हुए मुजरा जैसे शब्दों से भाषणों को सजाया गया. चुने हुए मुख्यमंत्रियों को जेल भेजा गया.'


शिवसेना और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) का भी उन्होंने जिक्र किया और कहा कि महाराष्ट्र में राजनीतिक दलों को तोड़ा गया, उनके सिंबल छीने गए. चाहे वो एनसीपीर्टी हो या शिवसेना हो. उन्होंने आगे कहा, 'विपक्ष के सबसे बड़े दल के बैंक अकाउंट को फ्रीज किया गया. उसके बाद मोदी सरकार चुनाव लड़ने के लिए जनता के दरबार में गई, लेकिन वाह री जनता. जनता ने दिखा दिया. दर्द की हद से गुजारे तो सभी जाएंगे, तैरें या डूबें किनारे तो सभी जाएंगे, कोई कितनी भी बुलंदी पर चला जाए, लेकिन आसमानों से उतारे तो सभी जाएंगे.'


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