नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंकिग घोटाले में एबीपी न्यूज़ के हाथ बड़ी जानकारी लगी है. जानकारी के मुताबिक नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चौकसी ने एक बार नहीं बल्कि पंजाब नैशनल बैंक को कई बार चूना लगाया. एबीपी न्यूज़ की पड़ताल में जो नई बात निकलकर सामने आई है वो ये है कि फर्जीवाड़े के इस पूरे खेल को मामा-भांजे की ये जोड़ी कैसे अंजाम तक पहुंचाती थी और घोटाले में किसका कितना हिस्सा है.
मामा-भांजे की ये जोड़ी बैंक से इसलिए कर्ज लेते थे ताकि पुराना कर्ज लैटाया जा सके. वहीं जिस काम के लिए पैसे लिए जाते थे उस काम में कभी निवेश नहीं किया जाता था.
11,500 करोड़ के घोटाले में किसका कितना हिस्सा
जांच एजेंसियों का दावा है कि 11,500 करोड़ के इस महाघोटाले में नीरव मोदी का हिस्सा 48,00 करोड़ रुपयों का है. जबकि गीतांजलि समूह के चेयरमैन मेहुल चौकसी का हिस्सा 6,000 करोड़ रुपयों के भी पार है. ऐसे ही कुछ चौंकाने वाले खुलासे उन बैंक अधिकारियों ने भी किए हैं जो इस पूरे घोटालेबाजी का हिस्सा थे.
अपने हीरों के कारोबार को बढ़ाने के नाम पर मेहुल चौकसी और नीरव मोदी लोन के तौर पर बैंक से मोटी रकम उठाया करते थे. लेकिन अब इसी रकम के निवेश को लेकर पीएनबी ने जो खुलासा किया है उसने जांच एजेंसियों की परेशानी और बढ़ा दी है.
अब तक की जांच के दौरान एक बडा खुलासा यह भी हुआ है कि मामा भांजे ने बैंक ने जिस काम के लिए रुपए लिए थे उसका बडा हिस्सा उस काम के प्रयोग में लाया ही नहीं गया, बल्कि उस पैसे से दूसरे काम किए गए.
बैंक को हर तरह से चूना लगाया गया
पंजाब नैशनल बैंक में अरबों की इस घोटालेबाजी के लिए नीरव और मेहुल चौकसी ने अलग से एक रणनीति बना रखी थी. इस नए खुलासे ने पंजाब नैशनल बैंक के पूरे मैनेजमेंट सिस्टम को ही सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
सूत्रो के मुताबिक कल इस घोटाले को लेकर जांच एजेसियो और पीएनबी के बडे अधिकारियो की बैठक हुई थी जिसमें बताया गया कि कई बार तो इस घोटाले मे बैंक से ही पैसा लेकर बैंक का कर्जा लौटा दिया गया यानि बैंक को हर तरह से चूना लगाया गया.
अब सीबीआई ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए उन लोगों को रडार पर लेना शुरु कर दिया है जो मेहुल चौकसी और नीरव मोदी के अरबों के साम्राज्य को संभालते थे.
जांच एजेंसी के एक आला अधिकारी ने बताया कि हिरासत में मौजूद बैंक अधिकारियों ने जो बयान दिए हैं उनकी पुष्टि के लिए मामा-भांजे के सहयोगियों से पूछताछ की जा रही है. जांच एजेंसियां उनसे जानना चाहती हैं कि किस बैंक अधिकारी को कितनी रिश्वत दी गई और स्विफ्ट मैसेज का पासवर्ड किस-किस के पास था.