रांची: देश में जनवरी 2015 से अगस्त 2016 तक कुल 4777 नवजात बच्चों को उनके माता-पिता ने पैदा होने के कुछ ही दिन बाद छोड़ दिया. जिसके कारण उनमें से कई बच्चों की असमय ही मौत हो गयी.


नवजात को छोड़ने की सबसे अधिक घटना महाराष्ट्र में हुई


आश्रयणी मीडिया नाम के एक एनजीओ ने इस संबन्ध में किये गये अध्ययन को जारी करते हुए एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही. संस्था की संयोजक मोनिका गुंजन ने बताया कि पिछले बीस महीने में हुई इस तरह की घटनाओं में सबसे अधिक घटनाएं महाराष्ट्र में रिपोर्ट हुईं.


महाराष्ट्र में पिछले 20 महीनों में कुल 676 नवजात को अकेला छोड़ा गया


महाराष्ट्र में पिछले बीस महीनों में कुल 676 बच्चों को उनके माता पिता ने पैदा होने के कुछ दिनों के भीतर ही सड़कों, डस्टबिन, नदी और जंगल जैसी जगहों में अकेला छोड़ दिया. मोनिका ने बताया कि संस्था ने अपने अध्ययन में पाया है कि आधुनिक समाज में भ्रूण हत्या पर कड़ाई से रोक लगने के बाद पैदा हुए बच्चों को अकेला छोडने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है.


 छोडे गए नवजात में लड़कियों की संख्या 2834 और  लड़के 1943


उन्होंने बताया कि बच्चों के परित्याग के मामले में भी भारतीय समाज में पुत्र प्रेम उजागर होता है. आंकड़े पेश करते हुए मोनिका ने बताया कि जो नवजात जन्म के बाद अकेले छोड़ दिए गए उनमें लड़िकयों की संख्या 2834 थी वहीं लड़कों की संख्या 1943 थी.


नवजात बच्चों को छोड़ने या फेंकने में मध्य प्रदेश दूसरे और पश्चिम बंगाल तीसरे नंबर पर 


संवाददाता सम्मेलन में झारखंड के बाल संरक्षण आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुनीता यादव ने कहा कि समाज में जागृति पैदा कर इस समस्या को कम किया जा सकता है और लोगों को यह जानकारी देना आवश्यक है कि यदि किसी भी हाल में वह अपने नवजात को छोड़ना चाहते हैं तो वह उन्हें अनाथालय में आसानी से छोड़ सकते हैं. देश में नवजात बच्चों को फेंकने और छोड़ने की घटनाओं में क्रमश: मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल दूसरे और तीसरे स्थान पर है.