बिहार का इतिहास बताता है, जो लंबे समय तक रहे डिप्टी सीएम, उन्हें नहीं मिल पाई CM की कमान
अगर अतीत के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में जो सबसे लंबे समय तक उप-मुख्यमंत्री रहे वो कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाए. ये चारों बिहार के उप-मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले हैं- डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर, तेजस्वी यादव और सुशील कुमार मोदी.
बिहार का राजनीतिक इतिहास भी बड़ा दिलचस्प है. यहां पर अब तक सिर्फ चार ही उप-मुख्यमंत्री बन पाए हैं. लेकिन, अगर अतीत के आंकड़ों पर नजर डालें तो बिहार में जो सबसे लंबे समय तक उप-मुख्यमंत्री रहे वे कभी भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाए. अब तक बिहार के उप-मुख्यमंत्री पद पर जो बैठे हैं वो हैं- डॉक्टर अनुग्रह नारायण सिन्हा, कर्पूरी ठाकुर, तेजस्वी यादव और सुशील कुमार मोदी.
अनुग्रह नारायण
कांग्रेस पार्टी के अनुग्रह नारायण सिन्हा पहली बार 20 जुलाई 1937 से लेकर 31 अक्टूबर 1939 तक यानी 990 दिनों तक डिप्टी सीएम रहे. इसके बाद दोबारा 2 अप्रैल 1946 से 5 जुलाई 1957 तक 11 साल 94 दिनों तक बिहार में उप-मुख्यमंत्री के पद पर रहे.
कर्पूरी ठाकुर
उसके बाद 5 जुलाई 1967 को सोशलिस्ट पार्टी के कर्पूरी ठाकुर को उपमुख्यमंत्री बनाया गया. महामाया प्रसाद सिन्हा के मुख्यमंत्री काल के दौरान वह इस पद पर 329 दिन ही रह पाए. बाद में कर्पूरी ठाकुर ने राज्य के मुख्यमंत्री की कमान संभाली.
सुशील मोदी
उसके बाद 24 नवंबर 2005 को नीतीश कुमार की सरकार में बीजेपी नेता सुशील मोदी उप-मुख्यमंत्री बने और 16 जून 2013 तक यानी 7 साल 204 दिन तक इस पद पर रहे.
तेजस्वी यादव
इसके बाद बिहार में नीतीश कुमार की अगुवाई में महागठबंधन की सरकार बनी और तेजस्वी यादव को राज्य का उप-मुख्यमंत्री बनाया गया। तेजस्वी यादव 20 नवंबर 2015 को उप-मुख्यमंत्री बने लेकिन 26 जुलाई 2017 तक ही यानी 1 साल 248 दिन ही इस पद पर रह पाए.
सुशील मोदी
इसके बाद एक बार फिर से नीतीश की अगुवाई में बीजेपी-जेडीयू की सरकार बनी और सुशील मोदी ने 27 जुलाई 2017 को उप-मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली और करीब 3 साल 112 दिन रहे.