नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर से प्याज के दाम आसमान छू रहें हैं और आम आदमी को रुला रहें हैं. पिछले एक दो दिन में प्याज की कीमत में चार से पांच रुपए का उछाल आया है.
दिल्ली की सबसे बड़ी थोक सब्जी मंडी आज़ादपुर में बुधवार को प्याज का दाम 30-45 रुपए प्रति किलो रहा है. अलवर प्याज जिसकी क्वालिटी सबसे कम अच्छी होती है उसकी क़ीमत 20-30 रुपए किलो पहुंच गयी है. वहीं नासिक और गुजरात से आयत की जाने वाली प्याज35-45 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही है.
अगर बात करें रिटेल की तो यही दाम बढ़ कर के बज़ारों में 50-55 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. जहांगीरपुरी में सब्ज़ी की दुकान लगाने वाले मोहम्मद मुस्तफा बताते हैं कि थोक में प्याज का भाव इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यहां से खरीद के ले जाने के बाद बेचने में भी काफी समस्या आ रही है.
मुस्तफा ने कहा, “50 रुपए किलो प्याज कौन खरीद पाएगा. ग्राहक खरीद नहीं रहे हैं, आधी प्याज तो सड़ रही है. हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऊपर से किसानों के आंदोलन की वजह से बॉर्डर बंद हैं जिसके चलते सामान लाने ले जाने में भी काफ़ी समस्या आ रही है. दाम बढ़ने का एक कारण ये भी है. पीछे से माल आ नहीं रहा है जिसके चलते महंगाई बढ़ी है.”
वहीं मौसम की मार के चलते कई सारी फसलें बर्बाद गईं. बुधवार को आजादपुर मंडी में प्याज की काफ़ी किल्लत रही. दो दिन पहले तक प्याजके 70 ट्रक आज़ादपुर मंडी पहुंच रहे थे वहीं बुधवार को 40 ट्रक ही आ पाए हैं.
आज़ादपुर में प्याज के विक्रेता रतन शर्मा का कहना है कि प्याज के दाम अभी एक महीने तक ऐसे ही बने रहने वाले हैं. जल्द राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है. मौसम की मार के चलते फसले लगने में भी समय लगा. अब एमपी की प्याज जब आएगी तब ही प्याज की कीमतें स्थिर हो पाएंगी. फिलहाल तब तक राहत नहीं मिलेगी.
दिल्ली का टिकरी बॉर्डर जो आज़ादपुर के समीप है उस पर चल रहे प्रदर्शन को भी रतन प्याज के दाम बढ़ने की एक वजह मानते हैं. उनका कहना है किसान अपनी फ़सल आ के बेचने में डर रहा है, बॉर्डर से कोई माल लाने को तैयार नहीं है क्योंकि कई घंटे तक जाम में फसना पड़ता है. जो दाम नासिक की प्याजके नासिक में हैं वही दिल्ली में हैं जिससे ये समझा जा सकता है के मंडी के व्यपारियों को भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि आयात करने में भी पैसे लगते है, ट्रांसपोर्ट का खर्चा आता है. इस समय पर हमें एक रुपए का मुनाफा भी नहीं हो रहा है.
वहीं दीपक रघुवानी जो प्याज व्यपारी हैं कहते हैं कि पिछले दो दिन में प्याज की क़ीमतों में 5 रुपए की बढ़ोतरी हुई है और ट्रकों की संख्या में कमी आयी है. पीछे से ही माल नहीं पहुंच रहा है जिसके चलते क़ीमतों में उछाल आया है. लोगों को मध्य प्रदेश से आने वाली फ़सल से ही राहत मिलेगी.
वहीं आम लोग जो पहले से कोरोना महामारी की मार झेल रहें हैं अब उन्हें बढ़ती हुई महंगाई से भी दो चार होना पड़ रहा है. सब्ज़ी खरीदने पहुंचे ग्राहकों का कहना है कि अब बढ़ती महंगाई से प्याजखाना तो नहीं छोड़ सकते लेकिन कम ज़रूर कर दी है. पहले जहां दो किलो ले जाते थे वहीं अब आधा किलो ले जा रहें हैं.
हाल ही में बजट में भी आम आदमी को कोई खास रहत नहीं दी गयी है. पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतें भी आसमान छू रही हैं ऐसे में माध्ययवर्गीय परिवार क्या करेगा. प्याज की बढ़ती क़ीमतों ने आम आदमी की जेब पर असर डाला है. मौसम की मार के चलते दामों में बढ़ोतरी हुई है. अब वो कहावत जो यह कहती थी के गरीब कुछ नहीं तो प्याज रोटी खाकर पेट भरता है उस पर फिर से विचार करना होगा क्योंकि बढ़ती हुई प्याज की कीमतों ने आम आदमी की प्लेट से प्याज ही गायब कर दी है.
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