नई दिल्ली:  12 वीं औऱ 10 वीं का एक-एक पेपर लीक होने के बाद सीबीएसई सवालों के घेरे में है. आरोपों औऱ विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू हो गया है.  अर्थशास्त्र औऱ मैथ्स के पेपर लीक के बाद सवाल सीबीएसई की साख के साथ-साथ उसके पूरे सिस्टम पर भी उठ रहा है. मुद्दा ये है कि आखिर सीबीएसई का सवाल सेट करने से लेकर एग्जाम सेंटर तक क्वेश्चन पेपर पहुंचाने का इतना पुख्ता सिस्टम लीक कैसे हो गया. सीबीएसई का पेपर तैयार करने औऱ उसे सेंटर्स तक पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया में काफी एहतियात बरता जाता है. क्या है ये पूरी व्यवस्था औऱ कैसे इसे गोपनीय रखा जाता है? एबीपी न्यूज तफसील से आपको इसके बारे में बता रहा है.


 पेपर सेट करने के लिए पैनल


सबसे पहले पेपर सेट करने वालों का एक पैनल तैयार किया जाता है. पेपर सेट करने वाले व्यक्ति के पास उस सब्जेक्ट में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री और कम से कम दस साल का अनुभव होना चाहिए जिस सब्जेक्ट का वो पेपर सेट कर रहा है. कोई भी ऐसे व्यक्ति को पेपर सेटर नहीं बनाया जाता है जिसने किसी गाइड बुक, हेल्प बुक या उस विषय में कोई भी चीज प्रकाशित की हो. प्राइवेट ट्युशन या कोचिंग चलाने वाले किसी भी व्यक्ति को पेपर सेटर के रूप में नहीं रखा जाता है.


सवालों के सेट के लिए मॉडरेटर


पेपर सेटर के अवाला मॉडरेटर की एक टीम नियुक्त की जाती है जो पेपर के सभी सेटों को मॉडरेट करता है और इस बात को सुनिश्चित करता है कि सभी सेट में प्रश्न बराबर है. वो इस चीज को देखते हैं कि ऐसा न हो कि किसी सेट में ज्यादा कड़े प्रश्न चले जाएं और किसी में हल्के प्रश्न. मॉडरेटर और पेपर सेटर की ये जिम्मदारी होती है कि सभी प्रश्न सिलेबस के मुताबिक ही सेट किए जाएं और कुछ भी उसमें बाहर से शामिल न हो. इनकी ये भी जिम्मेदारी होती है कि सभी प्रश्न-पत्र का मार्किंग स्कीम और सभी सवालों के संभावित जवाब भी तैयार करें ताकि उसी आधार पर छात्रों को नंबर दिया जाए.


छपाई के बाद बैंक में रखा जाता है पेपर 


इसके बाद पेपर कड़ी सुरक्षा में सीबीएसई के खुद के प्रिंटिंग हाउस में छापा जाता है. पेपर छपने के बाद उसे सीलबंद कर के रखा जाता है. इसके बाद पेपर को परीक्षा के पहले चार-पांच दिन से लेकर एक सप्ताह तक के समय में परीक्षा सेंटर से सबसे पास के किसी राष्ट्रीय बैंक में पहुंचाया जाता है. जिस बैंक में लॉकर होता है उसी में पेपर रखा जाता है.  किसी भी प्राइवेट बैंक के लॉकर में सीबीएसई का पेपर नहीं रखा जाता है.


बैंक से सेंटर तक सुरक्षा 


एग्जाम सेंटर सुप्रीटेंडेट ये तय करता है कि किस बैंक में पेपर को सीलबंद करके रखा जाएगा. पेपर रखने से पहले बैंक के मैनेजर सेंटर सुप्रीटेंडेंट को पेपर के सीलबंद लिफाफे चेक कराते हैं और फिर उसको लॉकर में रख दिया जाता है. परीक्षा वाले दिन सुबह 9.30 बजे पेपर सेंटर सुप्रीटेडेंट को दे दिए जाते हैं. कभी भी सुबह 9.30 बजे से पहले बैंक मैनेजर पेपर्स नहीं दे सकता है. इसके बाद सभी पेपर को सुरक्षा में बैंक से परीक्षा केन्द्र लाया जाता है.


सुबह 10 बजे खुलता है सीलबंद लिफाफा  


इसके बाद 10 बजे पेपर खोले जाते हैं और बच्चों को डिस्ट्रीब्यूट किया जाता है. पहले ऐसा होता था कि 9.30 बजे पेपर खोले जाते थे लेकिन अब 10 बजे से पहले एग्जाम पेपर नहीं खोले जा सकते. इसके सभी एग्जाम सेंटर पर 10.30 परीक्षा शुरू होती है.


सीबीएससी के चेयरमैन द्वारा पेपर सेटर, मॉडरेटर, सीक्रेसी ऑफीसर, हेड एग्जामिनर, एग्जामिनर आदि की नियुक्ति की जाती है जो कि इस पूरी परिक्षा पणाली में कार्यरत रहते हैं. किसी भी परिक्षा केन्द्र पर ऐसे किसी भी व्यक्ति को पेपर सेटर, मॉडरेटर, सीक्रेसी ऑफीसर, हेड एग्जामिनर, या एग्जामिनर नहीं बनाया जा सकता जिसका कोई जानने वाला या करीबी उस एग्जाम हॉल में मौजूद हो. अगर इनमें से कोई भी एग्जाम से जुड़ी कोई गलत जानकारी देते हैं तो चेयरमैन के पास ये अधिकार है कि वे तुरंत उन्हें निष्कासित कर सके.