मुंबई: चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया है. महाराष्ट्र में 21 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा. वहीं राज्य में विधानसभा चुनाव के नतीजे 24 तारीख को आएंगे. महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीटें हैं. यहां बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है. महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को खत्म हो रहा है. चुनाव तारीखों का एलान करने के साथ चुनाव आयोग ने कहा है कि कोई भी उम्मदीवार 28 लाख से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता है.
क्या रहे थे साल 2014 के नतीजे
साल 2014 में बीजेपी ने सबसे ज्यादा 122 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं उसकी सहयोगी शिवसेना ने दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा 63 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यहां बता दें कि शिवसेना और बीजेपी ने चुनाव अलग-अलग लड़ा था लेकिन नतीजों के बाद गठबंधन में आ गए थे.
साल 2014 में कांग्रेस, राज्य में 41 सीटों के साथ तीसरी बड़ी पार्टी रही थी. 2014 में दोनों ही गठबंधन टूट गए थे. एक तरफ बीजेपी और शिवसेना तो दूसरी तरफ कांग्रेस और एनसीपी ने भी अलग अलग चुनाव लड़ा था. बीजेपी पहली बार अपने दम पर महाराष्ट्र में 100 से अधिक सीटें जीती थी.
कांग्रेस और NCP के लिए इस बार भी मुश्किलें कम नहीं
महाराष्ट्र में कांग्रेस के लिए यह चुनाव किसी अग्नि परिक्षा से कम नहीं होगा. पार्टी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है. वहीं एनसीपी की ताकत भी सिर्फ शरद पवार का परिवार ही है. पार्टी के बाकी सभी बड़े नेता बीजेपी और शिवसेना में शामिल हो गए हैं. वहीं इस चुनाव में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बड़ा फैक्टर बनती हुई नहीं दिखाई दे रही है.
प्रकाश अम्बेडकर की पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना चाहती है
प्रकाश अम्बेडकर की पार्टी वंचित बहुजन आघाडी पार्टी कुछ नुकसान जरूर कर सकती है. प्रकाश अम्बेडकर की पार्टी को लोकसभा चुनाव में करीब 10 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कई जगहों पर इस पार्टी ने कांग्रेस और NCP को बड़ा नुकसान पहुंचाया था. ‘वंचित बहुजन आघाड़ी’ (वीबीए) विधानसभा मुकाबले को त्रिकोणीय बनाना चाहती है. लोकसभा चुनाव में वीबीए ने असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एमआईएम) के साथ चुनाव लड़ा था. लोकसभा चुनाव में वंचित बहुजन आघाड़ी और एमआईएम गठबंधन उम्मीदवार इम्तियाज जलील ने औरंगाबाद की सीट जीतकर यह बता दिया कि पार्टी राज्य में अपना वोट बैंक बना रही है.
पिछले विधानसभा चुनाव में वीबीए और एमआईएम ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ नहीं मिलाया था, जिसका भारी नुकसान कांग्रेस और एनसीपी को हुआ. इस चुनाव में भी वीबीए कांग्रेस और एनसीपी से कन्नी काटते दिख रही है. प्रकाश अम्बेडकर का कहना है कि वीबीए के राज्य कार्यकारी मंडल की कांग्रेस के साथ गठबंधन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई. कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चर्चा के नाम पर सिर्फ वीबीए का फायदा उठाने की कोशिश करता दिख रहा है.
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