नई दिल्ली: दुनिया के लिए सिरदर्द बन चुके उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन को अमेरिका ने सबक सिखाया है. अमेरिका ने उत्तर कोरिया के आसमान में अपने फाइटर प्लेन की मॉक ड्रिल की है. इसे अमेरिका की ओर से बड़ा संदेश माना जा रहा है. अमेरिका के इस कदम को उत्तर कोरिया का जवाब माना जा रहा है. उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल टेस्ट कर रहा है जिससे अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया नाराज हैं.  पूरी डिटेल खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

आखिर उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया में इतनी दुश्मनी क्यों है, और क्यों इसमें रूस, चीन, अमेरिका और जापान जैसे बड़े ताकतवर देश रुचि लेते हैं, इसे समझने के लिए इतिहास में कुछ साल पीछे जाना होगा.

1910 से लेकर 1945 तक उत्तर और दक्षिण कोरिया एक ही थे, और इस पर जापान का कब्जा था. 1945 में जब दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की हार हुई तो सोवियत रूस ने कोरिया के उत्तरी भाग पर और अमेरिका ने दक्षिणी भाग पर कब्जा कर लिया. 1945 से 1948 आते-आते उत्तर और दक्षिण कोरिया में सोवियत और अमेरिकी कब्जे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन होने लगे. आखिरकार 1948 में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया अलग-अलग देश बनाए गए. उत्तर कोरिया में रूस और चीन समर्थित सरकार बनी जबकि दक्षिण कोरिया में अमेरिका समर्थित सरकार बनी.

1950 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर हमला कर दिया और उसके बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. दक्षिण कोरिया की मदद के लिए अमेरिका ने सेना भेजी और उत्तर कोरिया को पीछे खदेड़ दिया. चीन ने इस लड़ाई में उत्तर कोरिया का साथ दिया. 1 लाख से ज्यादा चीनी सैनिक उत्तर कोरिया में भेजे.

लंबे वक्त तक चीन-उत्तर कोरिया और अमेरिका की सेनाएं आमने-सामने रहीं. आखिरकार भारत ने ब्रिटेन की मदद से चीन को युद्ध विराम के लिए राजी किया. 1953 में उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया मे युद्ध विराम हुआ. इसमें भी भारत ने बेहद अहम भूमिका निभाई. युद्धबंदियों की अदला बदली में भारतीय सेना ने मदद की. यही नहीं युद्ध के वक्त भारतीय सेना ने मिलिट्री हॉस्पिटल भी भेजा था.

जंग में अमेरिका ने दक्षिण कोरिया का साथ दिया था इसलिए उत्तर कोरिया का तानाशाह किम जोंग अमेरिका से नफरत करता है और बार-बार उसे तबाह करने की धमकी देता है.