नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में आज शाम पांच बजे पहले चरण के लिए चुनाव प्रचार थम जाएगा. पहले चरण में होने वाले 18 सीटों के लिए सभी पार्टियों ने जीत के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. सभी बड़े नेताओं की कोशिश है कि अधिक से अधिक मतदाताओं को अपनी पार्टी के पक्ष में वोटिंग करवाया जाए. यही कारण है कि पार्टी के बड़े नेता भी रैली करते दिखे. बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने मोर्चा संभाला तो दूसरी ओर से कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक के बाद एक कई रैलियां और रोड शो की. वहीं जनता कांग्रेस के कई नेता भी चुनावी मैदान में रैली करते दिखाई दिए.


पहले चरण के चुनाव में जहां पीएम मोदी ने मात्र एक रैली को संबोधित किया लेकिन पार्टी के कई शीर्ष नेताओं ने रमन सिंह सरकार के पक्ष में जमकर चुनाव प्रचार किए. इन रैलियों में रमन सिंह सरकार के कार्यों का बखान किया गया तो वहीं कांग्रेस पर हमला भी बोला गया.


पीएम मोदी ने उठया अर्बन नक्सल का मुद्दा


पहले चरण में एक मात्र रैली में अर्बन नक्सल को लेकर मोदी सरकार ने सीधे-सीधे कांग्रेस पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि 'जिन बच्चों के हाथ में कलम होनी चाहिए, राक्षसी मनोवृत्ति के लोग उनके हाथ में बन्दूक पकड़ा देते हैं. अर्बन माओवादी लोग खुद ऐश की जिन्दगी जीते हैं, बड़े शहरों में एसी कमरों में रहते हैं. उनके बच्चे विदेशों में पढ़ते हैं और वे आदिवासी बच्चों की जिन्दगी तबाह करते हैं. अगर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है तो कांग्रेस के लोग ऐसे अर्बन माओवादियों को बचाने के लिए मैदान में उतर आते हैं. क्या ऐसे लोगों को आप चुनेंगे?''


उन्होंने कहा, ''कांग्रेस पार्टी दलितों, पीड़ितों, शोषितों, वंचितों और गरीबों को सिर्फ और सिर्फ अपना वोट बैंक मानती है, कांग्रेस पार्टी इन्हें इंसान के रूप में देखने को तैयार नहीं है.'' उन्होंने कहा, ''10 साल तक केंद्र में जो कांग्रेस की सरकार थी उसने छत्तीसगढ़ में हो रहे विकास कार्यों को अटकाने और लटकाने के भरसक प्रयास किए, इसके बाबजूद रमन सिंह जी ने छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा को रुकने नहीं दिया.''


राहुल ने बोला रमन सरकार पर हमला


दूसरी ओर राहुल गांधी ने राज्य की रमन सरकार और केंद्र की मोदी पर जमकर बरसे. इस दौरान कई राहुल ने राफेल डील से लेकर विजय माल्या और मेहुल चौकसी के विदेश भागने का भी मामला उठाया. रमन सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने चावल घोटाला मामले को जनता के सामने रखा तो पनामा घोटाल को भी रैलियों के दौरान जमकर उछाला. वहीं बिजली घोटाला और किसानों के मुद्दे पर राज्य सरकार को जमकर घेरा.



मोदी ब्रैंड पर असर

मोदी ब्रांड बीजेपी का ब्रह्मास्त्र है, जो 2014 से लगातार विरोधियों को परास्त कर रहा है. बीजेपी इसी के सहारे कांग्रेस मुक्त का सपना देख रही है. यदि इन चुनावों में बीजेपी की जीत होती है तो एक बार फिर मोदी ब्रांड का जादू बरकरार माना जाएगा. ब्रांड एक बार फिर मजबूत होगा. मोदी लहर बरकरार माना जाएगा. लेकिन यदि चुनाव में हार होती है तो सबसे बड़ा धक्का ब्रांड मोदी को ही लगेगा. 2019 के नजर से देखें तो संगठन और सत्ता सवाल उठने शुरू होंगे. विकल्प तक की बातें शुरु हो जाएंगी. इसलिए 2019 के लिए सेमिफाइनल माना जा रहा यह चुनाव ब्रांड मोदी के लिए बहुत मायने रखता है.


सहयोगी दलों पर प्रभाव


2019 के लिए सीटों के बंटवारे पर विधानसभा चुनाव परिणाम का सबसे अधिक असर होगा. बिहार, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों में सहयोगी दल बारगेन के मूड में हैं. यदि इन राज्यों में विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत होती है तो सहयोगी दलों पर दबाव बढ़ेगा. वह बारगेन की स्थिति में नहीं होंगे. बीजेपी के आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होगी जिसका सीधा असर 2019 के लोकसभा चुनाव पर होगा. सहयोगी दल भी 2014 की तरह पीएम मोदी के नाम के सहारे अपनी नैया पार लगाने की उम्मीद करेंगे. यदि हार होती है तो सबसे पहले बिहार में सीटों को लेकर चल रहे खींचतान पर गहरा असर होगा. जेडीयू, एलजेपी और आरएलएसपी सीटों को लेकर काफी दबाव बनाने वाले बयान दे रहे हैं.


विपक्षी हमलों की धार पर असर


डीजल-पेट्रोल के दाम, राफेल डील पर विवाद, एससीएसटी एक्ट से सवर्णों में उपजी नाराजगी बीजेपी के लिए संकट के बादल की तरह हैं. यदि इन चुनावों में जीत मिलती है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विपक्षी दलों पर जोरदार पलटवार करेंगे. जैसे नोटबंदी के बाद यूपी में मिली जीत पर सरकार ने विपक्ष पर कड़ा प्रहार किया. इसे जनता से लगा मुहर बताया. यदि हार होती है तो विपक्ष हमला और तेज कर देगा. 2019 के लिए विपक्ष का आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा और राफेल विवाद 2019 में बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा.


कांग्रेस में 'मैडम' के बाद शुरू हुआ 'सर' युग