सेलफोन के जमाने में भी कुंभ में लोगों के बिछड़ जाने की आती हैं शिकायतें, मदद के लिए प्रशासन ने बनाया सिस्टम
कुंभ में आज के सेलफोन के युग में भी लोगों के कुंभ में बिछड़ जाने की शिकायत आती हैं. इसके लिए प्रशासिनक अमला और गैर सरकारी संगठन मिलकर काम कर रहे हैं. लोगों की ज्यादातर शिकायतों को तुरंत हल कर लिया जाता है और बहुत कम मामले पेंडिंग हैं.
हरिद्वारः भारतीय संस्कृति में महाकुंभ का बड़ा महत्वपूर्ण स्थान रहा है. लेकिन कुंभ में आज के सेलफोन जमाने में भी बॉलीवुड फिल्मों के ‘कुंभ के मेले में बिछड़ जाना’ या रोजाना लाखों की भीड़ में खो जाना एक वास्तविक संभावना है. कुंभ में रोजाना ऐसे लोग शिकायत लेकर आते हैं. हरिद्वार के नीरज शर्मा को चेहरे पढ़ने की कला में महारत हासिल है और संकट में पड़े व्यक्ति का चेहरा पहचान लेते हैं. वे महाकुंभ में लॉस्ट एंड फाउंड के अपने 6 × 6 के बूथ में लोगों से आराम से बात करते हैं और तुरंत नोट करके एक माइक्रोफोन में बोलते हैं जो लाउडस्पीकर से जुड़ा होता है.
नीरज शर्मा के अनुसार "शिकायतों की गिनती रखना मुश्किल है क्योंकि हर कुछ मिनटों में एक व्यक्ति आता है. संध्या आरती या शाही स्नान के दौरान ये संख्या बढ़ जाती है. बच्चे और सीनियर सिटीजन कम ही फोन साथ रखते हैं. कुंभ डिप्टी एसपी (कम्युनिकेशन) विपिन कुमार के अनुसार, गुरुवार को कुछ घंटों के भीतर 90 से अधिक लोग मिसिंग कंप्लेन से मुकर गए.
200 से ज्यादा शिकायतें गंगा सेवा के बूथ एक गैर-सरकारी फोरम है जिसके शर्मा एक सदस्य हैं. वहां पर एक रजिस्टर है जहां प्रमुख लापता मामलों की एक लिस्ट है. यहां 10 से कम दिनों में 200 से अधिक शिकायतें हैं. शर्मा कहते हैं कि यदि केस की एंट्री की जाती है तो रजिस्टर एक दिन से भी कम समय में भर जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस में छपी इस खबर के मुताबिक अधिकांश मामलों को कुछ घंटों में सुलझा लिया जाता है. उनके पास सीनियर सिटीजन, मध्यम आयु वर्ग और युवा का पता लगाने वाले सभी तरह के लोगे आते हैं.
बहुत कम मामले पेंडिंग विपिन कुमार के अनुसार, "बहुत कम मामले पेंडिंग हैं. इसके लिए व्यापक सिस्टम बना है जिनमें गंगा सेवा सहित हर अनाउंसमेंट नोट होता है, सभी पुलिस स्टेशन सक्रिय हैं, और अलर्ट वायरलेस पर भेजे जाते हैं." प्रशासन ने पुलिस और गंगा सेवा की ओर से लगाए गए लाउडस्पीकर्स को समन्वय के लिए हर की पौड़ी घाट के पास मुख्य कार्यालय से जोड़ा गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि महाशिवरात्रि से पहले इस सिस्टम को सक्रिय किया गया जब 28 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के साथ पहला शाही स्नान हुआ. प्रशासन अब अप्रैल में होने वाली श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के लिए तैयारी रहा है, जब शाही स्नान के कई दौर होंगे.यह भी पढ़ें
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