कोल्लम: कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में 'गो कोरोना गो' का नारा लगाते महाराष्ट्र के नेता रामदास अठावले का वीडियो काफी वायरल हुआ था. लेकिन देश के दक्षिणी हिस्से में केरल के कोल्लम में कोरोना की जय, कोरोना जिंदाबाद जैसे नारे लग रहे हैं. बीजेपी के कार्यकर्ता कोरोना को जिताने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. चौंकिए मत, हम बात कर रहे हैं कोल्लम कॉरपोरेशन के चुनावों में खड़ी हुई बीजेपी की प्रत्याशी कोरोना थॉमस की.


24 वर्षीय थॉमस खुद भी कोरोना महामारी का शिकार हो चुकी हैं. अक्टूबर में उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया. इस दौरान वो और उनकी नवजात बेटी कोरोना संक्रमित हो गए थे. इसी दौरान पहली बारा कोरोना थॉमस खबरों में आई थीं. हालांकि अच्छी बात यह है कि अब दोनों मां-बेटी कोरोना से रिकवर हो चुके हैं.कोरोना थॉमस की शादी पिछले साल जिनू सुरेश से हुई थी. जिनू का परिवार बीजेपी का समर्थक है.


कोरोना बताती हैं, 'मुझे राजनीति के बारे में कुछ भी नहीं पता था. जब मैंने सुरेश से शादी की जो कि बीजेपी के एक्टिव मेंबर हैं तब मेरी भी दिलचस्पी राजनीति के बारे में जागी. जब मैं डिलिवरी के बाद रिकवर कर रही थी उसी वक्त पार्टी ने स्थानीय निकाय चुनावों के लिए मुझे टिकट ऑफर किया. मेरे पति के परिवार ने मुझे टिकट स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया.'


बता दें कि स्थानीय निकाय चुनावों में पिछली बार बीजेपी दूसरे नंबर पर आई थी. पार्टी को उम्मीद है कि उसकी युवा उम्मीदवार कोरोना के सहारे इस बार वो जीत दर्ज करने में कामयाब रहेगी. अपने नाम के बारे में कोरोना थॉमस कहती हैं, 'पहले तो लोगों को जब मेरा नाम पता चलता तो वो अजीब नजरों से देखते. मैं उन अचंभित लोगों से कहती थी कि आपने कोरोना के नाम हाल ही में सुना होगा लेकिन मेरे पापा ने मुझे यह नाम 24 साल पहले ही दे दिया था. अब लोगों ने मुझे स्वीकार लिया है. मुझे उम्मीद है यह उनके वोट्स के माध्यम से भी दिखेगा.'


कोरोना बताती हैं कि उनके कलाकार पिता थॉमस मैथ्यू ने अपने दो बच्चों का नाम, कोरल और कोरोना रखा. कोरोना कहती हैं, 'मुझे अपने नाम की वजह से इतने सालों में कभी कोई दिक्कत नहीं हुई. लेकिन अब लोग मेरा नाम सुनते ही सवालिया निगाहों से देखते हैं. लेकिन जैसे ही मैं उनसे बातचीत शुरू कर देती हूं वो सहज हो जाते हैं.'


कोरोना थॉमस को उम्मीद है कि जिस तरह उन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ जीत दर्ज की उसी तरह इन चुनावों में भी वो फतह हासिल करेंगी. केरल में पांच महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इन स्थानीय निकाय चुनावों को सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. तीन चरणों में 8 दिसंबर से 14 दिसंबर तक केरल में स्थानीय निकाय चुनाव होंगे. बीजेपी केरल और पश्चिम बंगाल में कामयाबी के लिए सबसे अधिक मेहनत कर रही है.