नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद के बीच अब खबर आई है कि लद्दाख में चीन की सेना 2.5 किलोमीटर पीछे हट गई है. लद्दाख में दो तीन जगहों पर चीन की सेना पीछे हटी है. वहीं खबर है कि अब भारत और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने और स्थिति को शांतिपूर्ण बनाने के लिए और बैठकें हो सकती है. आने वाले दिनों में बिग्रेड कमांडर लेबल की बातचीत हो सकती है.


वहीं एबीपी न्यूज के पास एक्सक्लूसिव जानकारी ये भी आई है कि चीन ने गैलवान घाटी या भारत के पेट्रोलिंग प्वाइंट को पार नहीं किया है और न ही कोई कब्जा किया है. हालांकि चीन ने अपने इलाके में सैनिक और युद्ध सामाग्री जमा किया है.


बता दें कि चीन और भारत की सीमा पर गैलवान घाटी में कई दिनों से तनाव की खबर आ रही है. इसी बीच खबर आई की चीन युद्धअभ्यास भी कर रहा है. जिसके जवाब में भारत ने लद्दाख सीमा पर युद्धाभ्यास करते सैनिकों का वीडियो शेयर किया था. गृह राज्यमंत्री जी कृष्णन रेड्डी ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर भारतीय सेना का जो वीडियो शेयर किया था वो पिछले साल सितंबर महीने का है जब उत्तरी कमान ने लद्दाख से सटी चीन सीमा पर चांगथांग नाम का एक बड़ा युद्धभ्यास किया था. इस एक्सरसाइज से भारत ने पूरी दुनिया को बता दिया था कि चीन सीमा पर अब सिर्फ इंफेंट्री सैनिक ही तैनात नहीं होते बल्कि टैंक, मैकेनाइजड फोर्सेज़, यूएवी और पैरा कमांडो भी तैनात रहते हैं. गृह राज्यमंत्री ने वीडियो ट्वीट करते हुए लिखा, "भारतीय सेना का यह प्रेरणादायक और लुभावना वीडियो है, जो लद्दाख के उत्तरी भाग में हमारी सीमाओं को सुरक्षित कर रहे हैं, जरूर देखना चाहिए."


आपको बता दें कि रविवार को चीन के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने बड़ा दावा करते हुए कहा था कि चीनी सेना ने कुछ ही घंटों में हजारों सैनिक और आर्मर्ड गाड़ियों को हुबई प्रांत से भारत-चीन सीमा पर तैनात करने की तैयारी की है. हुबई प्रांत के वुहान से ही कोरोना वायरस निकला था जो आज पूरे विश्व में महामारी बन चुका है.


ग्लोबल टाइम्स और चीन के सीसीटीवी चैनल की रिपोर्ट्स को मानें तो चीन की पीएलए यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने इस 'मैन्युवर-ऑपरेशन' के जरिए अपने सेंट्रल प्रांत, हुबई से हजारों की तादाद में सैनिकों को सिविल एयरक्राफ्ट, ट्रैन और बसों के जरिए भारत सीमा से सटे हाई-ऑल्टिट्यूड रिजन में भेजने की ड्रिल की.


छह जून को हुई थी अब तक की उच्च स्तरीय वार्ता


छह जून को  हुई वार्ता दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव को लेकर यह अब तक की उच्च स्तरीय बातचीत थी. उम्मीद की जा रही थी कि भारतीय सेना के 14 कोर कमांडर ले.जन हरिंदर सिंह और चीन के दक्षिणी शिंचियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर जनरल लियु लिन के बीच बातचीत से समाधान का कोई रास्ता निकलेगा और चीन अपने सैनिकों को वापस लौटाने पर राजी होगा. सैन्य कमांडरों की बातचीत से पहले दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर संयुक्त सचिव स्तर अधिकारियों की भी वीडियो कांफ्रेंसिंग हुई थी.


बातचीत जारी रखने पर बनी सहमति


चुशूल-मोल्डो इलाके में सैन्य कमांडरों के बीच हुई उच्च स्तरीय वार्ता पर विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत सौहार्द्रपूर्ण और सकारात्मक माहौल में हुई. साथ ही दोनों देश सैन्य तनाव की स्थिति को मौजूदा समाधान तंत्र के सहारे सुलझाने पर सहमत हैं. भारत और चीन ने इस बारे में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर बातचीत जारी रखने का भी बात कही है.


भारत-चीन के रिश्तों की 70वीं वर्षगांठ


वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक साथ कई जगहों पर सामने आई तनाव की स्थिति और लद्दाख में गलवान घाटी के अलावा पैंगोंग झील के करीब जारी तनाव को अब करीब एक महीना हो रहा है. सीमा तनाव की यह स्थिति तब है जब भारत और चीन अपने रिश्तों की 70वीं सालगिरह के मना रहे हैं. विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों पक्षों ने इस बात पर भी सहमति जताई है कि 70वीं वर्षगांठ के इस साल में मौजूदा तनाव घटाना आपसी रिश्तों की बेहतरी की लिए मददगार होगा.