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लद्दाख: भारतीय और चीनी कमांडरों के बीच चौथे चरण की बातचीत हुई
भारत और चीनी सेना के कमांडरों ने पेंगोंग सो और देपसांग जैसे गतिरोध वाले स्थानों से समयबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है.
![लद्दाख: भारतीय और चीनी कमांडरों के बीच चौथे चरण की बातचीत हुई In Ladakh fourth phase of talk between Indian and Chinese commanders लद्दाख: भारतीय और चीनी कमांडरों के बीच चौथे चरण की बातचीत हुई](https://static.abplive.com/wp-content/uploads/sites/2/2020/06/17170402/india-china-2.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
नई दिल्ली: भारत और चीनी सेना के कमांडरों ने पेंगोंग सो और देपसांग जैसे गतिरोध वाले स्थानों से समयबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू कर दिया है. साथ ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास पीछे के सैन्यअड्डों से बड़ी संख्या में सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को अहम वार्ता शुरू की.
सरकार के सूत्रों ने बताया कि लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की चौथे चरण की वार्ता एलएसी पर भारत की तरफ चुशुल में निर्धारित बैठक बिंदु पर सुबह करीब 11 बजकर 30 मिनट पर शुरू हुई. बातचीत में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे हैं जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य क्षेत्र के प्रतिनिधि मेजर जनरल लियु लिन कर रहे हैं.
सैनिकों के वापसी की प्रक्रिया का दूसरा चरण
इस उच्च स्तरीय बैठक में ध्यान पेंगोंग सो और देपसांग में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया के दूसरे चरण को शुरू करने के साथ ही समयबद्ध तरीके से पीछे के अड्डों से बलों और हथियारों को हटाने पर दिया जाएगा. सूत्रों ने बताया कि समझा जाता है कि भारतीय पक्ष पांच मई से पहले पूर्वी लद्दाख के सभी इलाकों में जो पूर्व की यथास्थिति थी उसे बनाए रखने पर जोर देगा जब दोनों देश के सैनिकों के बीच झड़प के बाद गतिरोध शुरू हुआ था.
सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्ष अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में पूरी तरह से शांति स्थापित करने के लिए एक खाके को भी अंतिम रूप दे सकते हैं. जहां दोनों देशों के सैनिकों के बीच आठ हफ्ते तक गतिरोध चला. संघर्ष के स्थानों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया के पहले चरण को लागू करने के बाद यह वार्ता हो रही है.
सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी कर ली है- पीएलए
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) ने गोगरा, हॉट स्प्रिंग और गलवान घाटी से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पहले ही पूरी कर ली है. और भारत की मांग के अनुरूप पिछले एक हफ्ते में पेंगोंग सो इलाके में फिंगर फोर में अपनी मौजूदगी को काफी हद तक कम कर लिया है.
परस्पर सहमति से लिए गए फैसले के अनुरूप दोनों पक्षों ने संघर्ष वाले ज्यादातर स्थानों में न्यूनतम तीन किलोमीटर का बफर जोन बनाया है. सैनिकों के पीछे हटने की औपचारिक प्रक्रिया छह जून को शुरू हुई थी जब इससे एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने इलाके में तनाव कम करने के तरीकों पर करीब दो घंटे तक फोन पर बातचीत की थी.
दोनों देशों के बीच पहले ही लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीन चरण की वार्ता हो चुकी है. साथ ही अंतिम वार्ता 30 जून को हुई थी जब दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए “शीघ्र, चरणबद्ध और कदम दर कदम” तरीके से तनाव कम करने को “प्राथमिकता” देने पर सहमत हुए थे.
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