नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ निवाडी के गांव सैतपुरा में 3 साल के मासूम पहलाद को बोरबेल से निकालने में अब तक 46 घंटे से अधिक का वक्त बीत चुका है. 4 नवंबर को दिन में 9 से 10 बजे के बीच बोरबेल में गिरने के बाद से लेकर अभी तक रेस्क्यू ऑपरेशन को चलते हुए 46 घंटे से अधिक का समय हो चुका है. वहीं रेस्क्यू टीम के हाथ अबी भी खाली ही हैं. बताया जा रहा है कि रेस्क्यू टीम को बच्चे तक पहुंचने में आज का पूरा दिन लग सकता है.
निवाड़ी कलेक्टर आशीष भार्गव ने इस पूरे मामले में शुरुआत से प्रशासनिक लापरवाहियों को जिम्मेदार बताया है. वहीं उनका कहना है कि नया जिला होने के कारण संसाधनों की कमी के साथ-साथ अधिकारियों में तालमेल का अभाव, व्यवस्थाओं और संसाधन जुटाने में देरी बरती गई है. वहीं अब आज सुबह से उस पूरे क्षेत्र में धारा 144 लगा कर आम आदमी के साथ-साथ मीडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी है.
बताया जा रहा है कि मौके पर सेना, SDRF, सागर और ग्वालियर के अलावा लखनऊ से पहुंचे बचाव दल की देखरख में रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. एल एन टी और जेसीबी मशीनें लगातार बोरबेल के समानान्तर सुरंग बनाने के लिये पर्याप्त खुदाई का काम कर रही हैं. वहीं मासूम पहलाद के बोरबेल में 60 फ़ीट नीचे फंसे होने का अनुमान है, उसी को देखते हुए खुदाई का काम जारी है.
पहलाद के परिजनों की निगाहें भी रेस्क्यू टीम के भरोसे अपने बेटे के सुरक्षित बोरबेल से निकल आने की उम्मीद में रेस्क्यू अभियान पर टिकी हुई हैं. दरअसल यह हादसा तब हुआ जब निवाडी के पृथ्वीपुर थाने के सेतपुरा गांव में तीन साल का प्रह्लाद कुशवाहा अपने ही खेत में खुदे बोरबेल में खेलते खेलते जा गिरा. उसके पिता ने 3 दिन पहले ही खेत में बोरवेल खुदवाया था. जिसे एक तसले से ढंका गया था. पिता का कहना है कि इसकी गहराई 200 फ़ीट है, जिसमें 90 फुट की गहराई पर पानी है. वहीं पिता का कहना है कि बोर में गिरने के कुछ देर तक तो बच्चे की आवाज आ रही थी, वहीं अब कोई भी आवाज सुनाई नहीं दे रही है.
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