मुंबई: कोरोना काल में शिक्षक दंपति ने पेश की मिसाल, लोगों का पेट भरने का कर रहे हैं काम
मुंबई के मलाड का रहने वाला एक दंपति लोगों का पेट भरने का काम कर रहा है. साथ ही स्कूल की फीस ना भर पाने वाले बच्चों की फीस भी माफ कर दी है.
मुंबई: शहर के मलाड के रहने वाले एक दंपति ने पेश की मानवता की मिसाल. दंपति तीन महीने से लोगों का कर रहे हैं पेट भरने का काम. जब सेविंग्स खत्म हुई तो घर खरीदने के लिए जमा पीएफ के पैसे से 500 लोगों तक राशन पहुंचाने का काम किया. स्कूल की फीस भर पाने में असमर्थ बच्चों का भी स्कूल फीस माफ कर दिया.
दरअसल, पेशे से टीचर फ़ैयाज़ और मीज़गा लोगों को राशन बांट रहे हैं. दोनों मुंबई के मालवणी इलाके में बनी घनी आबादी वाली झुग्गी बस्ती में रहते हैं. और अपने ग्यारह साल पहले शुरू किए गए ज़ील इंग्लिश मीडियम नामक स्कूल को चलाते हैं. बताया जा रहा है कि इनके स्कूल में 300 से 350 बच्चे पढ़ते हैं.
इन सभी 300 से 350 बच्चों के माता-पिता के लिए आज ये पति-पत्नी एक भगवान बनकर उभरे हैं. चार महीने से लॉकडाउन के चलते लोगों की नौकरियां जा रही हैं. बच्चे पढ़ाई से वंचित हैं. खाने के लिए लोगों के पास पैसे नहीं हैं. माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल की फीस नहीं भर पा रहे हैं. ऐसे में फ़ैयाज़ और मीज़गा ने ऐसे माता-पिता और ज़रूरतमंद लोगों की ओर मदद का हाथ बढ़ाया है.
मीज़गा और फ़ैयाज़ ने एबीपी से खास बातचीत में बताया कि किस तरह पिछले चार महीने से उनके स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे और उनका परिवार बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कई बच्चों के माता पिता आम मजदूर हैं, जिनकी नौकरी चली गई. मदद के लिए सब हमसे संपर्क करने लगे. मेरे पति और मुझसे मेरे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता- पिता की तकलीफ नहीं देखी गई. इसलिए हमने सोचा के हमारे पास जो भी है हम उससे लोगों की मदद करें. हमने अपने पैसे और कई एनजीओ की मदद से हमारे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता की मदद करनी शुरू की.
मीज़गा औऱ फ़ैयाज़ अपनी सेविंग्स और एनजीओ की मदद से लोगों का पेट भरने का काम करने लगे, लेकिन सीमित साधन होने के कारण एनजीओ ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, तो मीज़गा और फ़ैयाज़ ने खुद का घर खरीदने के लिए जो पीएफ के पांच लाख रुपए जमा किये थे, वो निकाला और लोगों की मदद करना शुरू किया.
मीज़गा के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता की सबसे बड़ी समस्या थी बच्चों को तीन महीने की स्कूल फीस. मीज़गा और फ़ैयाज़ ने बच्चों के तीन महीने की स्कूल फीस भी माफ कर दी.
मीज़गा के पति फ़ैयाज़ भी इस नेक काम मे बखूबी अपनी पत्नी का साथ दे रहे हैं. फ़ैयाज़ का कहना है कि वे अब तक हज़ारों परिवार का पालन पोषण का काम कर रहे हैं. फ़ैयाज़ का कहना है कि उनसे और उनकी पत्नी से जितना बन सकेगा, लोगों की मदद करते रहेंगे. लोगों से अपील है कि वे मदद का हाथ बढ़ाएं.
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