नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रमुख प्रदर्शन स्थल और दिल्ली की सीमा पर स्थित सिंघू बार्डर, रविवार को महिला कबड्डी प्रतियोगिता के लिए एक मैदान में तब्दील हो गया. बता दें कि यहां कड़ाके की ठंड के बीच हुई बारिश भी उनके इस जज़्बे को कम नहीं कर पाई.कुल 12 महिला टीमों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, जो पूर्वाह्न 11 बजे शुरू हुई थी.


किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह (55) ने कहा कि महिलाएं इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए खुद ही आगे आईं. पंजाब के तरन तारन जिले के रहने वाले सिंह ने कहा, ‘‘विभिन्न राज्यों की टीमें आईं और हमसे कहा कि वे एक कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन करना चाहते हैं. हमनें सिंघू बॉर्डर पर लोगों को सक्रिय रखने के लिए प्रत्येक दिन के लिए विभिन्न गतिविधियों की योजना बना रखी है. ’’ सुखविंदर ने कहा कि विजेता टीम को 2,100 रुपये और उप-विजेता टीम को 1,100 रुपये मिलेंगे. पुरस्कार की घोषणा उन लोगों द्वारा की जाएगी, जिन्होंने यह राशि चंदे में दी है.


बारिश से भी प्रतियोगिता पर नहीं पड़ा असर


रविवार सुबह भारी बारिश ने राष्ट्रीय राजधानी को सराबोर कर दिया, विभिन्न स्थानों पर जलजमाव हो गया और प्रदर्शन स्थल भी इससे अछूते नहीं रहे. हालांकि, बारिश का प्रतियोगिता पर असर नहीं पड़ा. हरियाणा के जींद जिला निवासी एवं प्रतियोगिता के मुख्य कोच जगबीर सिंह ने कहा कि ज्यादातर खिलाड़ी कॉलेज की छात्राएं हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की टीमों ने प्रतियोगिता में भाग लिया. हम सभी लोग यहां किसानों का समर्थन करने आए हैं. प्रतियोगिता का समापन आज ही हो जाएगा. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कुछ खिलाड़ी भी हैं.’’





राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों ने लिया हिस्सा

बता दें कि प्रदर्शन स्थल पर डेरा डाले किसानों ने प्रतियोगिता शुरू होने पर खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी.  रितिका दलाल नाम की एक खिलाड़ी ने कहा, ‘‘मैंने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से खेला है. मैच अच्छा रहा, हालांकि हम जीत नहीं सकें. मेरा परिवार बहुत सहयोगी है और उन्होंने यहां मैच में शामिल होने की अनुमति दी. ’’


रोहतक से कबड्डी कोच नरेंद्र कुमार ने कहा कि उन्हें प्रतियोगिता के बारे में व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला था. उन्होंने बताया, ‘‘मुझे कल व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला था. इसमें इस बात का जिक्र था कि सिर्फ लड़कियां ही भाग ले सकती हैं, जिसके बाद मैं अपनी जुड़वा बेटियों सहित 10 लड़कियों की एक टीम के साथ आह सुबह यहां पहुंचा. यह एक नॉकआउट टूर्नामेंट है और आपको हर मैच जीतना होता है. मेरी टीम दो अंकों से हार गई लेकिन उन्होंने सचमुच में अच्छा खेला.’’


दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से डटे हैं किसान


गौरतलब है कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए हैं और तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. उनमें ज्यादातर लोग पंजाब एवं हरियाणा से हैं.


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