पूर्व केन्द्रीय मंत्री एमजे अकबर की तरफ से दायर आपराधिक मानहानि केस में पत्रकार प्रिया रमानी को दिल्ली की एक अदालत ने राहत देते हुए बुधवार को बरी कर दिया. इस दौरान कोर्ट की तरफ से पौराणिक कथाओं का जिक्र किया गया. कोर्ट ने रामायण का हवाला देते हुए उस वक्त का वर्णन किया जब सीता को रावण पुष्पक विमान में हरण कर ले जा रहा होता है, और कहा कि महारानी सीता की रक्षा के लिए जटायु आया था.
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिलाओं को यह अधिकार है कि दशकों के बाद भी अपने साथ हुए अन्याय को सामने रखे. उसने कहा कि भारत की महिलाओं को सिर्फ बराबरी की आवश्यकता है. एमजे अकबर बनाम प्रिया रमानी केस में कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि एक व्यक्ति जिसका सामाजिक दर्जा है, वह भी यौन उत्पीड़क हो सकता है.
कोर्ट ने कहा है कि एक ऐसा शख्स जिसकी सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी हो वह यौन उत्पीड़न करने वाला भी हो सकता है. यौन उत्पीड़न से सामाजिक प्रतिष्ठा और मनोबल भी गिरता है. छवि के अधिकार को मर्यादा के अधिकार की कीमत पर नहीं सुरक्षित किया जा सकता.
एमजे अकबर ने प्रिया रामानी के खिलाफ यह कहते हुए आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था कि प्रिया रमानी की तरफ से Me Too कैंपेन के दौरान किए गए ट्वीट से उनकी मानहानि हुई है. जबकि उनके ऊपर इस तरीके के आरोप इससे पहले कभी नहीं लगे थे. अदालत में इस मामले पर विस्तृत बहस के बाद आज यह फैसला सुनाया गया है.
गौरतलब है कि साल 2018 में मी टू अभियान के तहत रमानी ने अकबर पर यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे. अकबर ने 15 अक्टूबर 2018 को रमानी के खिलाफ कथित तौर पर उन्हें बदनाम करने के लिए शिकायत दर्ज कराई थी. इसी दौरान अकबर ने 17 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.
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