Presidential Election 2022: शिवसेना में बगावत का सिलसिला जारी है. एक तरफ जहां पार्टी में पहले से ही 40 से ज्यादा विधायकों ने बगावत कर दिया है. वहीं दूसरा तरफ अब शिवसेना के सासंद भी ठाकरे पर दवाब बना रहे हैं कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया जाए. हालांकि राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) की वकालत कर रहे हैं.


इस बीच बीते सोमवार को उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व में एक बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में पार्टी के 18 लोकसभा सदस्यों में से 13 सदस्य शामिल हुए थे. वहीं जानकारी सामने आई है कि अधिकांश सांसदों द्वारा एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) को समर्थन दिए जाने से नाराज शिवसेना नेता संजय राउत बैठक से उठकर चले गए थे. 


संजय राउत ने दी सफाई


वहीं दूसरी तरफ संजय राउत का कहना है कि उन्हें सामना दफ्तर में काम था इसलिए मीटिंग खत्म होने पर वह मातोश्री से चले गए थे.  उन्होंने कहा कि, 'मैं नाराज़ नहीं हूं. मेरे बैठक से उठकर चले जाने की जिसने खबर दी है वो लोग मूर्ख हैं. ऐसी खबरें देने के लिए एक तंत्र काम कर रहा है. '


उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में काम कर रहे कई कार्यकर्ता शिवसेना में काम कर रहे हैं. कल हमारी बैठक में द्रौपदी मुर्मू पर चर्चा हुई थी. हम सबकी राय समझते हैं. द्रौपदी मुर्मू को सपोर्ट करने का मतलब बीजेपी को सपोर्ट करना नहीं है. 


राउत ने कहा कि एक-दो दिन में राष्ट्रपति को लेकर शिवसेना की भूमिका साफ हो जाएगी. जल्द ही उद्धव ठाकरे फैसला ले लेंगे. उन्होंने कहा कि देश में विपक्ष को जिंदा रहना चाहिए. राउत ने यशवंत सिन्हा के बारे में बात करते हुए कहा, 'यशवंत सिन्हा के प्रति हमारी भी सद्भावना है. लोगों को जो महसूस होता है उसके आधार पर निर्णय लेने होते हैं. इससे पहले हमने प्रतिभा पाटिल का समर्थन किया था. उस समय, हमने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन नहीं किया था. एनडीए में रहते हुए उन्होंने प्रणब मुखर्जी का भी समर्थन किया.'राउत ने आगे कहा कि शिवसेना में ऐसे फैसले लेने की परंपरा रही है. शिवसेना पार्टी प्रमुख किसी दबाव में डिसीजन नहीं लेती है. हमने उनसे निर्णय लेने के लिए कहा है. 


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