नई दिल्ली: बीते दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) पर एक रिपोर्ट जारी की गई. इस सर्वे के मुताबिक जेंडर पैरिटी इंडेक्स (जीपीआई) में पिछले सात सालों में देश में सुधार हुआ है. 2010-11 में जीपीआई 0.86 था जो 2016-17 में बढ़कर 0.94 हो गया है. सीधे तौर पर कहें तो महिलाओं में हायर एजुकेशन की तरफ ज्यादा रुझान देखे जा रहे हैं.
मगर इस रिपोर्ट में हायर एजुकेशन के इंफ्रास्ट्रक्चर और कॉलेजों में टीचरों की संख्या के बारे दर्ज आंकड़े निराशाजनक हैं. देश के कई राज्यों में मौजूदा स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए पर्याप्त मात्रा में न ही कॉलेज मौजूद है और न ही पढ़ाने वाले टीचर.
टीचरों की है भारी कमी
देश के पिछड़े राज्यों में गिने जाने वाले राज्यों का हाल बुरा है. बिहार में हायर एजुकेश का आंकड़ा दुखद है. यहां हर 65 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है. इस क्रम में बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड में का भी हाल बिहार से ज्यादा अच्छा नहीं है. वहां हर 56 स्टूडेंट्स पर एक टीचर हैं. ऐसे ही यूपी में 41, पश्चिम बंगाल 38 और त्रिपुरा में 30 स्टूडेंट्स पर एक टीचर हैं. सात क्रेंद्र शासित राज्यों में से एक पुदुच्चेरी में यह आंकड़ा काबिले तारीफ है, यहां हर 10 स्टूडेंट्स पर एक टीचर है. नेशनल लेबल पर यह रेशियो 23 स्टूडेंट्स पर एक टीचर का हो जाता है.
कई राज्यों में हैं कॉलेजों की किल्लत
एक तरफ देश में कॉलेजों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, रिपोर्ट के मुताबिक 2012-13 में भारत में कॉलेज की संख्या 35,525 थी जो 2016-17 में 40,026 हो गई है. लेकिन राज्यवार ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ राज्यों के साथ भेदभाव हुआ है. देश के दक्षिणी राज्यों में प्रति एक लाख स्टूडेंट्स पर तेलंगाना में 59, कर्नाटक में 53 और हिमाचल प्रदेश में 51 कॉलेज मौजूद हैं. तो वहीं बिहार, झारखंड और दिल्ली जैसे राज्यों में यह आंकड़ा काफी चिंताजनक है.
कॉलेज और स्टूडेंट के नेशनल रेशियो की बात करें तो देश में एक लाख छात्रों पर 28 कॉलेज हैं. मगर इसकी तुलना में बिहार काफी पीछे है. बिहार में एक लाख स्टूडेंट्स के बीच 7 कॉलेज है. वहीं झारखंड में 8, दिल्ली में 8, पश्चिम बंगाल में 11 और त्रिपुरा में 12 कॉलेज प्रति एक लाख स्टूडेंट्स हैं. यानी तमाम कोशिशों के बावजूद भी देश के कई राज्यों में हायर एजुकेशन का हाल बेहाल है.