सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले की जांच में हम उनके ट्वीट के भरोसे नहीं हैं- पुलिस
पुलिस ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि उसने मृतक सुनंदा पुष्कर के ट्वीट को नहीं देखा है और ना ही उनकी मौत के मामले में ट्वीट के भरोसे है. बता दें कि इस मामले में उनके पति और कांग्रेस सांसद शशि थरूर एकमात्र आरोपी हैं.
नई दिल्ली: पुलिस ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि उसने मृतक सुनंदा पुष्कर के ट्वीट को नहीं देखा है और न ही उनकी मौत के मामले में ट्वीट के भरोसे है. बता दें कि इस मामले में उनके पति और कांग्रेस सांसद शशि थरूर एकमात्र आरोपी हैं.
जांच एजेंसी ने कहा कि पुष्कर का ट्वीट रिकॉर्ड या मामले में दाखिल आरोप पत्र का हिस्सा नहीं है. अगर थरूर उन पर भरोसा करना चाहते हैं तो वह सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है और वह उन्हें देख सकते हैं. पुलिस ने यह बात न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी के समक्ष उस समय कही जब वह थरूर की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. थरूर ने अदालत से आग्रह किया है कि वह दिल्ल पुलिस को निर्देश दे कि 2014 में मौत से पहले सुनंदा पुष्कर के ट्विटर अकाउंट और ट्वीट को सुरक्षित रखें.
आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस ने थरूर पर आरोपी बनाया
उल्लखेनीय है कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा-498 ए (पति या उसके रिश्तेदार के अत्याचार) और धारा-306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर को आरोपी बनाया है. आरोप साबित होने पर मामले में क्रमश: तीन साल और 10 साल की सजा हो सकती है.
थरूर का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने कहा कि ट्वीट निचली अदालत में पेश इलेक्ट्रॉनिक सबूत का हिस्सा है, जो लैपटॉप और मोबाइल के रूप में जमा किया गया था. उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल उन उपकरणों के जरिये सुनंदा के ट्विटर अकाउंट को देखना चाहता है और मौत से पहले किए ट्वीट को निचली अदालत को दिखाना चाहता है. जिससे उस समय की उनकी मनोस्थिति के बारे में बताया जा सके.
साल 2017 में मृतका की मनोस्थित जानने के लिए अटॉप्सी की गई थी
थरूर के वकील ने कहा कि यह प्रासंगिक है कि अब तक चार अटॉप्सी रिपोर्ट और तीन चिकित्सकीय बोर्ड की रिपोर्ट भी यह साबित नहीं कर पाई कि वह आत्महत्या थी या मानव वध. पुलिस ने 2017 में मृतका का मनोवैज्ञानिक अटॉप्सी किया था ताकि मौत से पहले उनकी मनोस्थित का पता लगाया जा सके.
वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘ उस दिन उनकी मनोस्थिति को जानने के लिए उनके ट्वीट से बेहतर क्या हो सकता है.’’ उन्होंने कहा कि पुलिस इन ट्वीट पर भरोसा नहीं कर रही है क्योंकि इससे मामला बंद हो सकता है. पाहवा ने कहा कि इसके बजाय वे गवाहों के बयान जिसे पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-161 के तहत दर्ज किया है पर भरोसा कर रही है जिसमें उनकी मनोस्थिति को जानने के लिए पुष्कर के ट्वीट का संदर्भ दिया है.
सुनवाई की अगली तारीक 17 सितंबर की तय हुई
दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दिल्ली पुलिस को थरूर के उठाए गए सवालों का जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 18 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी. थरूर ने अपने आवेदन में कहा था कि पुष्कर का ट्वीट और ट्विटर टाइमलाइन इस मामले में बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि वह जिंदा नहीं है इसलिए यह आशंका है कि उसे हटा दिया जाएगा. यह कथित आरोपों में खुद का बचाव करने के अपने अहम अधिकार से वंचित करना होगा.
उन्होंने अदालत से अनुरोध किया वह पुलिस को निचली अदालत में मामले की सुनवाई पूरी होने तक इन ट्वीट और ट्विटर अकाउंट को सुरक्षित करने का निर्देश दे. थरूर ने अपने आवेदन में ट्विटर की नीति का भी हवाला दिया जिसके मुताबिक लंबे समय पर निष्क्रिय रहने पर वह अकाउंट को हटा देती है.
51 साल की उम्र में दिल्ली के लीला होटल में मृतक पाई गई थी पुष्कर
इससे पहले पुलिस ने अदालत को बताया कि पति के साथ तनावपूर्ण रिश्तों की वजह से पुष्कर मानसिक रूप से परेशान थी. पुलिस ने आरोप लगाया कि पुष्कर की मौत से कुछ दिन पहले उनकी अपने पति से हाथपाई हुई और इसके निशान शरीर पर मौजूद थे.
पुलिस के मुताबिक थरूर ने पुष्कर को प्रताड़ित किया जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या की. उल्लेखनीय है कि 51 वर्षीय पुष्कर 17 जनवरी 2014 को दक्षिण दिल्ली के चाणक्यापुरी स्थित लीला होटल के कमरे में मृत पाई गई थी.
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