नई दिल्ली: किसान कृषि कानून के विरोध में और किसानों के सर्मथन में जहां हरियाणा की खाप पंचायते उतर गई हैं. वहीं अब पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी भी किसानों के समर्थन में उतर रही है. ऐसा ही कुछ नजारा करनाल की एक बारात में देखने को मिला, जहां किसान अंदोलन के समर्थन में सुमित नाम का दूल्हा अपने ट्रेक्टर पर किसानों का झंडा लगाकर शादी करने पहुंचा.


करनाल शहर में गुरुवार को एक अनोखी शादी हुई, यह शादी अनोखी इसलिए कही जा सकती है क्योंकि दूल्हा और बाराती लग्जरी कारों में नहीं बल्कि अन्नदाता किसान के प्रमुख वाहन यानि ट्रेक्टरों पर घर से रवाना हुए. घर से निकलते समय महिलाओं ने मंगल गीत तो गाए ही साथ ही किसान एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए. दूल्हा-दूल्हन के उज्जवल भविष्य कामना तो की मगर ईश्वर से सरकार को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना भी की ताकि सरकार आंदोलनरत किसानों की मांगों को स्वीकार करें. लग्जरी कार घर के बाहर खड़ी थी और घोड़ी भी तैयार थी मगर दूल्हे राजा ट्रैक्टर पर बैठ गए. बाराती भी ट्रैक्टरों पर बैठकर रवाना हुए.



किसान आंदोलन को लेकर दुल्हे ने करोड़ों रुपए की गाड़ी छोडकर किसान आंदोलन को सर्मथन करते हुए ट्रैक्टर पर किसान आंदोलन के झंडे लगाकर अपनी बारात को लेकर शादी में पहुंचा. दूल्हे ने ऐलान किया कि शादी के बाद वह अपनी दुल्हन को लेकर दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में भी जाएगा. शादी में जो गिफ्ट मिलेंगे, वह सभी गिफ्ट वह किसानों को लिए डोनेट करेंगे.


इंजीनियर और व्यवसायी सुमित की शादी पानीपत के सैनिक परिवार के रोहताश सिंह की बेटी लिपिता से हो रही है. बारात एक फाइव स्टार होटल में होगी, बाराती भी किसान एकता के नारे लगाते नजर आए. दूल्हे ने कहा दिल्ली में किसान आंदोलन चल रहा है इसलिए वह उनके समर्थन में किसान की शान माने जाने वाले ट्रैक्टर से अपनी बारात लेकर जा रहे हैं. सेक्टर 6 निवासी सुमित ढुल बोले कि वह स्वयं पेशे से भले ही इंजीनियर हैं मगर उनका परिवार किसान परिवार है. विवाह के बाद वह अपनी पत्नी के साथ किसानों के बीच पहुंचेंगे.


सुमित के माता-पिता व उनके मामा सुरेंद्र नरवाल ने कहा कि सुमित ने किसानों का हौंसला बढ़ाने के लिए आज जो कदम उठाया उससे पूरा परिवार गौरवांवित महसूस कर रहा है. युवाओं को सुमित से प्रेरणा लेनी चाहिए. किसानों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. किसान हमारे अन्नदाता हैं.


दोनों परिवारों ने निर्णय लिया गया कि कन्यादान के रूप में जो कुछ भी शगुन के तौर पर मिलेगा उससे वह किसानों की आर्थिक सहायता करेंगे. विवाह के बाद पति-पत्नी किसानों के साथ धरना स्थल पर बैठेंगे.