नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को मन की बात करते हुए महिला भागीदारी को लेकर कई बातें कहीं. उन्होंने कहा कि सामाजिक और आर्थिक से लेकर जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी तय करना हम सबका कर्तव्य है लेकिन ये डगर काफी कठिन नज़र आ रही है.
पुलिस में महिलाओं की उपस्थिति महज 7.28 फीसद और नक्सल प्रभावित तेलंगाना में सबसे कम 2.47 फीसद है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार आतंकवाद प्रभावित जम्मू कश्मीर में पुलिस बल में 3.05 फीसद महिलाएं हैं. जम्मू कश्मीर में उनकी स्वीकृत संख्या 80,000 से अधिक है.
सरकार का यह आंकड़ा देश में महिलाओं के विरुद्ध अपराध के तेजी से बढ़ते ग्राफ के बीच आया है. वर्ष 2015 में महिलाओं के विरुद्ध 3,29,243 अपराध हुए थे जो वर्ष 2016 में बढ़कर 3,38,954 हो गये.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों और संघशासित प्रदेशों को 2009, 2012 और 2016 पत्र लिखकर उन्हें महिला पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाकर 33 फीसद करने की सलाह दी थी लेकिन उसके बाद भी स्थिति दयनीय है.
अधिकारी ने बताया कि सभी राज्यों और संघशासित प्रदेशों से महिला कांस्टेबलों और उपनिरीक्षकों के अतिरिक्त पद सृजित करने और महिलाओं की भर्ती कर उन रिक्तियों को भरने का अनुरोध किया गया है.
पिछले साल एक जनवरी को तेलंगाना पुलिस में महिलाकर्मियों की संख्या 2.47 फीसद थी. तमिलनाडु पुलिस में महिलाकर्मियों की स्वीकृत संख्या 60,700 है. सबसे अधिक जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में पुलिसबल में महिलाएं बस 3.81 फीसद हैं. उसमें उनकी स्वीकृत संख्या करीब 3,65,000 है.