नई दिल्ली: एक तरफ कांग्रेस वामपंथी पार्टियों के साथ गठबंधन में ना केवल चुनाव लड़ चुकी है बल्कि विपक्ष के लगभग हर कार्यक्रम में राहुल गांधी लेफ्ट के नेताओं के साथ मंच साझा करते हैं. लेकिन कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने वामपंथी संगठनों को 'अर्बन नक्सलिज्म' से जोड़ दिया है. ये बातें एनएसयूआई की उस डायरी में लिखी है जो उसने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में प्रचार के लिए बांटी थी. हालांकि विवाद के बाद एनएसयूआई ने इस डायरी पर रोक लगा दी है. लेकिन लेफ्ट संगठन उससे माफी की मांग कर रहे हैं.


लेफ्ट पर एनएसयूआई ने लगाए थे तीखे आरोप:-
दरअसल, दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव प्रचार के लिए एनएसयूआई के जरिए बांटे गए डायरियों में वामपंथी संगठनों पर आरोप लगाया गया है कि वो 'अर्बन नक्सलिज्म' फैलाते हैं. ये भी आरोप लगाया गया है कि वामपंथी अलगाववादियों का साथ देते हैं. वामपंथी किताबों से छेड़छाड़ करके अपनी विचारधारा फैलाते हैं. उदाहरण के तौर पर बताया गया है कि 1857 की क्रांति के नायक मंगल पांडे को वामपंथी नशेड़ी बताते हैं. इसके अलावा ये भी कहा गया है कि वामपंथी हर बात की तुलना जाति से करके जातिवाद को बढ़ावा देते हैं.


विवाद के बाद बैकफुट पर एनएसयूआई, गलती मानी:-
डायरी में लेफ्ट की तरह ही एबीवीपी पर भी तीखा हमला किया गया. इसके अलावा आम आदमी पार्टी के छात्र संगठन सीवाईएसएस पर भी निशाना साधा गया है. लेकिन लेफ्ट की तुलना 'अर्बन नक्सल' से करने को लेकर उठे विवाद के बाद एनएसयूआई बैकफुट पर है. ये डायरियां एनएसयूआई द्वारा विश्विद्यालय कैम्पस में बांटी गई हैं. इसमें विरोधियों पर हमले के साथ-साथ चुनाव को लेकर एनएसयूआई के घोषणापत्र का भी जिक्र है.


लेकिन अब विवाद खड़ा होने के बाद एनएसयूआई ने इसका वितरण रोक दिया गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष फिरोज खान ने सफाई देते हुए कहा कि एनएसयूआई 'अर्बन नक्सलिज्म' जैसी शब्दावली में विश्वास नहीं करता. ये आरएसएस की विचारधारा है. जिस टीम को डायरी छपवाने का काम दिया गया था ये उसकी गलती है. इस डायरी को अब नहीं बांटा जा रहा है.


सवाल ये है कि क्या एनएसयूआई को अपनी विचारधारा नहीं पता? आखिर एनएसयूआई की विचारधारा क्या है? दूसरा सवाल ये कि संगठन का शीर्ष नेतृत्व क्या कर रहा है और वो अपने काम को लेकर कितना गंभीर है?



एनएसयूआई माफी मांगे: आइसा
दूसरी तरफ वामपंथी छात्रसंगठन आइसा ने एनएसयूआई की सफाई पर सवाल उठाया है और माफी की मांग की है. आइसा की डीयू अध्यक्ष कंवलप्रीत कौर का कहना है कि एनएसयूआई के आरोप आधारहीन हैं और इससे साबित होता है कि एनएसयूआई और एबीवीपी में कोई फर्क नहीं है. कंवलप्रीत का कहना है कि ये डायरी अभी भी बांटी जा रही है. उन्होंने पूछा है कि क्या एनएसयूआई माफी मांगेगी?


वहीं एबीवीपी का कहना है कि एनएसयूआई ये सब चुनाव के लिए कर रही है वरना जेएनयू में देश विरोधी नारे लगे तो ऐसे लोगों के बचाव में खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पहुंचे थे.


विवाद की वजह समझिए:-
पिछ्ले दिनों में देश के कुछ वामपंथी बुद्धिजीवियों को नक्सल कनेक्शन के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. इन्हें 'अर्बन नक्सल' बताया गया. तब वामपंथी पार्टियों समेत कांग्रेस ने इसकी आलोचना की और कहा कि बीजेपी सरकार अपने विरोधियों को निशाना बना रही है. लेकिन अब कांग्रेस के छात्रसंगठन द्वारा वामपंथी विचारधारा वाले संगठनों को 'अर्बन नक्सल' बताए जाने से जाहिर है कांग्रेस की किरकिरी हो रही है.


12 को वोटिंग, त्रिकोणीय मुकाबला:-

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव के लिए 12 सितम्बर को वोटिंग होगी और अगले दिन गिनती के बाद नतीजों का एलान होगा. मुख्य मुकाबला हर बार की तरह एनएसयूआई और एबीवीपी के बीच है. आइसा और सीवाईएसएस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं और इस वजह से मुकाबला इस बार त्रिकोणीय है. पिछली बार अध्यक्ष, उपाध्यक्ष पद पर एनएसयूआई और सचिव, संयुक्त सचिव के पद पर एबीवीपी ने जीत दर्ज की थी. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में लगभग डेढ़ लाख छात्र वोटर होते हैं. यहां के छात्रसंघ चुनाव के नतीजों पर देश भर की नजरें होती हैं.