नई दिल्ली: राज्य सभा के उच्च सूत्रों ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि राज्य सभा में पारित होने वाले बिलों को समीक्षा के लिए स्थाई समिति के पास नहीं भेजा जा रहा है. सूत्रों ने आंकड़ों के जरिए यह बताने की कोशिश की है कि राज्यसभा में पेश किए गए बिलों में से 80 फ़ीसदी बिलों को स्थाई समिति या सिलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया. पिछले 2 सालों में राज्यसभा में 10 बिल पेश किए गए. इनमें सिनेमैटोग्राफी संशोधन बिल , होम्योपैथी के लिए राष्ट्रीय आयोग बिल और अप्रवासी भारतीयों की शादी का रजिस्ट्रेशन बिल शामिल है. इनमें से 8 बिलों को स्थाई समिति के पास भेजा गया. सूत्रों ने बताया कि जिन दो बिलों को स्थाई समिति के पास नहीं भेजा गया उनको जल्दी पारित करना जरूरी था.
' अबतक स्थाई समिति का गठन नहीं हुआ '
उच्च सूत्रों ने यह जरूर माना कि इस साल मई में 17वीं लोकसभा के गठन के बाद अब तक 4 बिल राज्यसभा में पेश हुए हैं और उनमें से किसी को भी स्थाई समिति या सिलेक्ट कमिटी के पास समीक्षा के लिए नहीं भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक उसकी वजह है. अब तक नई संसदीय स्थाई समितियों का गठन नहीं होना. दरअसल हर नई लोकसभा के गठन के बाद संसद के स्थाई समितियों का गठन होता है जो इस बार अब तक नहीं हुआ है. सूत्रों ने संसद की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि साधारणतया जो बिल जिस सदन में पेश होता है वही सदन उसे स्थाई समिति के पास भेजती है. 15 जून से शुरू हुए संसद के वर्तमान सत्र के दौरान जितने भी बिल राज्यसभा में पारित हुए हैं उनमें से चार को छोड़कर सभी पहले लोकसभा में पेश किए गए थे.
17 पार्टियों ने लिखा था पत्र
शुक्रवार को राज्यसभा के 17 विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखा था. पत्र में नायडू से शिकायत की गई थी कि सरकार मनमाने ढंग से आनन-फानन में कई बिलों को राज्यसभा से पारित करवा रही है. इन नेताओं की मांग थी कि इन बिलों पर ज्यादा विचार के लिए स्थाई समिति या राज्यसभा की सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाना चाहिए. पत्र में वेंकैया नायडू से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा गया है. इन नेताओं ने यह पत्र राज्यसभा में सूचना का अधिकार संशोधन बिल पारित होने के एक दिन बाद लिखा. विपक्ष ने इस बिल को सिलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग करते हुए इसका जबरदस्त विरोध किया था. सूत्रों ने याद दिलाया कि इस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए या नहीं इस पर वोटिंग हुई थी और विपक्ष की मांग को वोटिंग में खारिज कर दिया गया था.
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