पिछले डेढ़ महीनों में दिल्ली और आसपास के इलाके में 10 बार आए भूकंप के झटके, क्या है इसके पीछे की वजह
राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में शुक्रवार की रात भूकंप के झटके महसूस किए गए. पिछले कुछ दिनों में देश की राजधानी व इसके आसपास के क्षेत्रों में कई बार भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं.
नई दिल्ली: पिछले डेढ़ महीनों में दिल्ली और आसपास का इलाक़ा 10 बार भूकंप से कांप चुका है. इनमें से ज़्यादातर भूकम्प काफ़ी कम तीव्रता वाले थे और इसलिए इनका झटका ज़्यादा महसूस नहीं किया गया. हालांकि शुक्रवार यानि 29 मई को दिल्ली और आसपास के इलाक़े में झटका ज़ोर का था जिसने लोगों को डरा दिया. इसका केंद्र हरियाणा में रोहतक था और रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.5 थी. आइए जानते हैं कि पिछले डेढ़ महीनों में दिल्ली-एनसीआर में कब - कब और कितनी तीव्रता के भूकम्प रिकॉर्ड किए गए...
12 अप्रैल - 3.5 - दिल्ली 13 अप्रैल - 2.7 - दिल्ली 16 अप्रैल - 2.0 - दिल्ली 03 मई - 3.0 - दिल्ली 06 मई - 2.3 - फ़रीदाबाद 10 मई - 3.4 - दिल्ली 15 मई - 2.2 - दिल्ली 28 मई - 2.5 - फ़रीदाबाद 29 मई - 4.5 - रोहतक 29 मई - 2.9 - रोहतक
( श्रोत : राष्ट्रीय भूकम्प विज्ञान केंद्र )
इतनी जल्दी जल्दी भूकंप आने की घटनाओं को विशेषज्ञ कोई असामान्य घटना तो नहीं मानते हैं लेकिन उनके मुताबिक़ ये सावधान रहने की एक चेतावनी ज़रूर हैं. हालांकि उनका कहना है कि भूकंप की भविष्यवाणी करना अभी वैज्ञानिक तौर पर असम्भव है.
मौसम विभाग के भूकम्प विज्ञान केंद्र के पूर्व प्रमुख डॉ अतीन्द्र कुमार शुक्ल ने विस्तार से बताया कि आख़िर दिल्ली में क्यों बार बार भूकंप के झटके आ रहे हैं? भूकम्प विज्ञान के वर्गीकरण के हिसाब से दिल्ली भूकम्प ज़ोन 4 पर स्थित है जबकि सबसे ज़्यादा खतरे वाला भूकम्प ज़ोन 5 होता है.
डॉ शुक्ल के मुताबिक़ भौगोलिक तौर पर दिल्ली के चारों ओर ऐसे फ़ॉल्टस हैं जो दिल्ली में मध्यम दर्ज़े का भूकम्प ला सकते हैं. इनमें महेंद्रगढ़ - देहरादून फ़ॉल्टस, मुरादाबाद फाल्ट ज़ोन , राजस्थान ग्रेट बाउंड्री फाल्ट, सोहना फाल्ट और मथुरा फॉल्ट प्रमुख हैं. इनमें से किसी भी फाल्ट में अगर हलचल होगी तो दिल्ली में झटका लग सकता है. वहीं दिल्ली हिमालय के भी काफी करीब है जो भूकंप ज़ोन 5 में आता है. इस ज़ोन में 8-8.5 तीव्रता वाले भूकंप भी आ सकते हैं और ऐसे में दिल्ली में भी इसका झटका लग सकता है.
डॉ अतीन्द्र ने कहा कि हमारा जो ऊपर का क्रस्ट है वह 12 लेयर में बटा हुआ है. यह जो दिल्ली का पूरा भाग है यह दो बड़ी-बड़ी फॉल्टलाइन के बीच में है, जब इनमें से किसी में भी हलचल होती है तो यहां पर भी हलचल हो सकती है.
दिल्ली में दुर्भाग्य यह है कि दिल्ली दोनों तरह से प्रताड़ित हो सकती है यदि 8 का वहां (हिमालय) आएगा तो उतना प्रभाव पड़ सकता है अगर यहां 6 ( रिक्टर स्केल ) का भूकंप आ जाए. यह मैं नहीं कह सकता कि ऐसा कब होगा. 5 साल बाद, 10 साल बाद या फिर 50 साल बाद भी हो सकता है. हिमालय में भी अगर भूकंप होगा तो भी उसका असर पड़ेगा.
ऐतिहासिक रूप से देखें तो दिल्ली में केंद्रित सबसे तेज़ तीव्रता वाला भूकम्प 15 जुलाई 1720 यानि 300 साल पहले आया था. उस वक़्त तीव्रता 6.5 थी और केंद्र दिल्ली था. हाल के वर्षों में दिल्ली या आसपास में केंदित भूकम्प का सबसे तेज़ झटका 15 अगस्त 1966 को आया था. भूकम्प की तीव्रता 5.8 मापी गई थी जबकि केंद्र मुरादाबाद के क़रीब था.
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली और आसपास पिछले डेढ़ महीनों में आए भूकंप से न तो इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता कि अब कोई बड़ा भूकंप नहीं आएगा और न ही ये कि बड़ा भूकंप आएगा ही. डॉ शुक्ल ने इस बात की भी जानकारी दी कि भूकंप के नज़रिए से दिल्ली का उपवर्गीकरण भी किया गया है और इसमें कुछ इलाके ऐसे भी हैं जो सामान्य भूकंप में भी ज़्यादा ख़तरे में हैं.
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