लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर भारत से चल रही तनातनी के बीच चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुपचुप तरीके से तिब्बत का दौरा किया है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में राष्ट्रपति शी जिंनपिंग के बाद सबसे ताकतवर नेता माने जाने वाले वांग यी ने तिब्बत से सटी भारतीय सीमा के पास बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर की समीक्षा भी की है. पिछले तीन महीने से भारत के साथ चल रहे टकराव के दौरान चीन के किसी बड़े नेता की एलएसी का ये पहला दौरा है. इसीलिए इस दौरे को बेहद अहम माना जा रहा है. क्योंकि वांग यी ही भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद सुलझाने के लिए चीन की तरफ से ‘स्पेशल रिप्रेज्नटेटिव’ नियुक्त किए गए हैं. भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोवाल विशेष प्रतिनिधि हैं.


जानकारी के मुताबिक, वांग यी ने 14 अगस्त को ये दौरा किया था. इस दौरान उन्होनें तिब्बत स्वायत क्षेत्र के नेताओं से बैठक की और उनसे अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के साथ साथ राजनयिक संबंधों के बारे में चर्चा की. चीन के विदेश मंत्रालय ने दो दिन बाद एक बयान जारी कर बिना भारत का नाम लिए कहा कि तिब्बत के सीमावर्ती इलाकों के दौरे के दौरान गरीबी उनमूलन, बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर और गांवों के हालातों के बारे में जांच की.


चीन के विदेश मंत्रालय ने वांग यी के इस दौरे को लेकर खुलासा नहीं किया है कि वे तिब्बत के कौन कौन से इलाकों में गए थे. माना जा रहा है कि इन जगहों को ‘गोपनीय’ माना जा रहा है. खास बात ये है कि वांग यी ने इससे पहले करीब पांच साल पहले तिब्बत का दौरा किया था। उस वक्त उन्होनें शी जिनपिंग और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का एजेंडा तिब्बती नेताओं से साझा किया था।


लेकिन इस दौरे को लेकर सबसे बड़ा खुलासा चीन और तिब्बत मामलों के बड़े जानकार, क्लाउडे (क्लॉड) अर्पी ने अपने ब्लॉग में किया है. अर्पी के मुताबिक, वांग यी ने अरूणाचल प्रदेश के तवांग से सटे त्सोना काउंटी का दौरा किया है. इस दौरे के बहाने चीन की कोशिश है कि भारत को 1962 का युद्ध दिलाया जाया, जिसमें भारत को चीन के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.


लेकिन आपको बता दें कि 15 अगस्त यानि भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि “एलओसी से लेकर एलएसी (यानि पाकिस्तान से लेकर चीनी सीमा तक) जिसने भी भारत की संप्रभुता की तरफ आंख उठाकर देखा है देश की सेना ने उसका उसी त भाषा में जवाब दिया है.” पीएम का इशारा गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुए हिंसक संघर्ष में चीनी सेना को दिए मुंहतोड़ जवाब की तरफ था. इस हिंसा में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. चीन को भी इस हिंसा में भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन चीनी सेना ने अपने हताहत हुए सैनिकों की संख्या का खुलासा आजतक नहीं किया है.


हांगकांग से प्रकाशित होने वाले अखबार, साउथ चायना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक, चीनी विदेश मंत्री वांग यी का तिब्बत दौरान चीन की तिब्बत पर अपनी संप्रभुता दिखाना है. दरअसल, जब से भारत और चीन में एलएसी पर टकराव शुरू हुआ है, भारत में तिब्बत शरणार्थियों ने चीन के खिलाफ एक बार फिर से विरोध शुरू कर दिया है. तिब्बत में कही कोई विरोध शुरू ना हो जाए इसीलिए वांग यी ने तिब्बत से सटे इलाकों का दौरा किया है.


आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारत की एक खास स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) में बड़ी तादाद में सैनिक तिब्बती ही होते हैं, जो गुरिल्ला-वॉरफेयर में माहिर होते हैं. इस फोर्स को ‘विकास’ के नाम से भी जाना जाता है. यही वजह है कि हाल ही में चीन ने भी तिब्बत में एक मिलिशिया-फोर्स का गठन किया है. उसकी तस्वीरें चीन के मुखपत्र, ग्लोबल टाइम्स ने जारी की थीं.