Mumbai STP: जनता प्रॉपर्टी टैक्स भरती है कि उसे शहर प्रशासन की तरफ से साफ सफाई और प्रदूषण मुक्त शहर मिल सके. प्रशासन ऐसी योजनाओं के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी करता है. फिर ये योजनाएं प्रशासन की लापरवाही की वजह से बर्बाद हो जाती है. करीब 500 करोड़ की लागत से बनाई गई एक परियोजना का बुरा हाल है. करोड़ों की मशीनों में जंग लग चुका है. पॉल्युशन कंट्रोल के नाम पर जनता से लिये जाने वाले टैक्स की सिर्फ और सिर्फ बर्बादी है.


मुंबई से सटे मीरा भायंदर महानगर पालिका का सीवेज ट्रीजमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) करोड़ों की लागत से बनाया गया था ताकि शहर से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट करके समंदर में डाला जा सके. शहर को और शहर से सटे खड़ी एरिया को प्रदूषण से बचाया जा सके सके लेकिन करोड़ों की रकम से बनाये गए एसटीपी प्लांट हो मीरा भायंदर महानगर पालिका प्रशासन की लापरवाही के शिकार हो चुके हैं.


ज्यादतर STP प्लांट बंद पड़े


मीरा भायंदर महानगरपालिका के तहत पूरे शहर से आने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट करने के लिए पूरे 10 STP प्लांट बनाये गए. साल 2009 में इन STP प्लांट के लिए मीरा भायंदर महानगर पालिका ने करीब 500 करोड़ का टेंडर पास किया गया. कुछ प्लांट बनाये गए कुछ अधूरे बने और आज की तारीख में ज्यादातर STP प्लांट बंद पड़े है. इनके मेन्टेन्स और बिजली के बिल के नाम पर लाखों का बिल हर महीने महानगरपालिका पास करती है. बंद पड़े STP कर्मचारियो के पास सिर्फ एक बहाना है कि प्लांट के मेंटेनेंस का काम चल रहा है.


जनता के पैसों की बर्बादी !


मीरा भायंदर इलाके के पूर्व नगर सेवक प्रमोद सामंत बताते हैं कि वो जनता के पैसों की इस बर्बादी की शिकायत कई बार पालिका प्रशासन से लेकर महाराष्ट्र पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड तक को कर चुके है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं. अब करोड़ों की लागत से बनाए गए यह प्रोजेक्ट लापरवाही और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता जा रहा है. एबीपी न्यूज़ के हाथ इन एसटीपी प्लांट के कुछ ऐसे बिजली के बिल और ट्रीटमेंट होने वाले पानी की लैब रिपोर्ट भी लगी, जिनसे इसमें हो रहे भ्रष्टाचार का खुलासा भी होता है. किसी बिजली के बिल पर अड्रेस ही नहीं की वो किस प्लांट का बिल है जो लाखो में है तो कुछ बिल पर मीटर नंबर नहीं.


महानगरपालिका हर महीने लाखों का बिल पास करती है. इसके साथ ही महाराष्ट्र पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड ने इन ट्रीटमेंट प्लांट के पानी के टेस्ट की जो रिपोर्ट पास की है इसके जानकर उसे भी पूरी तरह से फर्जी बताते है. जानकारों की मानें तो STP प्रोजेक्ट सरकारी लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीता जागता उदाहरण है. शहर का वातावरण शुद्ध रखने और शहर को प्रदूषण से बचाने के लिए करोड़ों के इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था लेकिन शहर का जो गंदा पानी इन ट्रीटमेंट प्लांट में आता है अब बगैर ट्रीटमेंट के उसी तरह से मीरा भायंदर की खाड़ी एरिया में छोड़ दिया जा रहा है जिसकी वजह से समंदर के जीव जंतुओं, मछलियों, और मंगरोज जैसे पौधों को भारी नुकसान होने का खतरा है.


मीरा भयंदर में जो 10 एसटीपी प्लांट लगाए गए हैं उनमें से एक दो ऐसे हैं जो चालू हालत में हैं. ऐसे ही एक प्लांट पर एबीपी न्यूज़ के संवाददाता को बीएमसी के कुछ कर्मचारी लेकर गए और उन्होंने दिखाया और बताया कि यह एसटीपी प्लांट कैसे काम करता है और कैसे शहर के गंदे पानी को फिर से किया जा सकता है इस्तेमाल के काबिल. मीरा भयंदर शहर के लिए जब यह एसटीपी प्लांट इतना जरूरी है और इसके पानी को दोबारा इस्तेमाल भी किया जा सकता है.


अब सवाल है कि फिर मीरा भयंदर महानगर पालिका लापरवाही क्यों कर रही है. करोड़ों की लागत से बनाए गए इन एसटीपी प्लांट को बर्बाद होने क्यों दिया जा रहा है. शहर के लोगों के प्रॉपर्टी टैक्स में अलग से इसके लिए टैक्स क्यों लिया जा रहा है. इन सभी मुद्दों पर एबीपी न्यूज ने मीरा भयंदर महानगर पालिका प्रशासन से बात करने की कोशिश की लेकिन कमिश्नर से लेकर मेयर और इंजीनियर इस पर बात करने से  इनकार कर दिया.


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