कैथल: देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री और हरियाणा के कद्दावर नेता रहे दिवंगत चौधरी देवी लाल की आज 106 वीं जयंती है. आज के दिन चौटाला परिवार हमेशा से ही हर साल एक राज्य स्तरीय रैली आयोजित करता आया है. चौधरी देवी लाल की जयंती का दिन और चुनाव का समय, जनता के बीच जाने और उनसे वोट मांगने का इससे बेहतर वक्त क्या हो सकता है. इनेलो ने आज कैथल की अनाज मंडी के ग्राउंड में जनसभा का आयोजन किया. टीचर भर्ती घोटाले में सजा काट रहे इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. उन्होंने लंबे समय बाद आज किसी जनसभा को संबोधित किया.
आज देवी लाल की जयंती के मौके पर उन्हें जनता के बीच आकर इनेलो की डूब रही नांव की पतवार संभाली और विधानसभा चुनाव में 'ऐनक छाप' पर वोट डालने की अपील की. बीजेपी सरकार को घेरने के साथ ही कई चुनावी वादे किए और यहां तक कहा कि अगर किसी प्रत्याशी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा नहीं होगा तो उसका खर्चा पार्टी उठाएगी. ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे और उनके उत्तराधिकारी अभय चौटाला भी आज विरोधियों पर जमकर बरसे.
कांग्रेस-बीजेपी को पीछे छोड़कर इनेलो की सरकार बनने का दावा भी करते रहे. हालांकि बीते कुछ महीनों के घटनाक्रम इनेलो के लिए अच्छे तो नहीं ही रहे हैं. इनेलो के ज्यादातर विधायक बीजेपी में जा चुके हैं, बचे-खुचे विधायक दुष्यंत चौटाला की JJP का दामन थाम चुके हैं, इनेलो के कई बड़े नेता कांग्रेस में भी शामिल हो चुके हैं. हालांकि इतनी दुर्दशा होने के बावजूद अपने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने और उनमें जोश भरने में अभय चौटाला ने कोई कसर नहीं छोड़ी. हालांकि एबीपी न्यूज़ ने जैसे ही उनसे3 दिन पहले रोहतक में हुई दुष्यंत चौटाला की रैली को लेकर सवाल किया तो अभय चौटाला बिदक गए और माइक ही हटा दिया.
दरअसल चौधरी देवीलाल का बिखरा कुनबा अलग-अलग उनका जयंती समारोह मना रहा है, देवी लाल का बंटा हुआ परिवार उनकी राजनीतिक विरासत पर दावेदारी कर रहा है. चुनावी मौसम में चौधरी देवी लाल के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाह रहे हैं इसीलिए देवी लाल की जयंती से 3 दिन पहले ही पूर्व सांसद और JJP नेता दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा के रोहतक में एक बड़ी 'जन सम्मान रैली' आयोजित की. आज देवी लाल की जयंती के मौके पर दिल्ली में उनकी समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि भी दी और उसके बाद देवी लाल की राजनीतिक विरासत पर दावेदारी भी ठोंक दी.
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बाद 19 सीटें जीतकर इनेलो दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी लेकिन आज आलम ये है कि उनके पास सिर्फ 3 विधायक बचे हैं. जींद विधानसभा चुनाव में वो अपनी ही सीट गंवा बैठी और चौथे नंबर पर रही जबकि नई-नवेली JJP कांग्रेस को भी पछाड़ते हुए दूसरे नंबर पर पहुँच गई. लोकसभा चुनाव में जहां इनेलो को 2 फीसदी वोट भी नहीं मिले वहीं JJP ने करीब 7 फीसदी वोट हासिल किए. ये कहना गलत नहीं होगा कि यही वजह है कि JJP इनेलो के सामने मुश्किलें खड़ी कर चुकी है और इसका अंदाज़ा खुद दुष्यंत चौटाला को भी है जो भले ही हरियाणा में JJP की सरकार बनाने का दावा कर रहे हों लेकिन उनकी असली लड़ाई सूबे में नंबर 2 की पार्टी बनने की है.
एक समय था जब हरियाणा की राजनीति में चौधरी देवीलाल के परिवार की तूती बोला करती थी. लेकिन देवीलाल की राजनीतिक विरासत की लड़ाई में आज चौटाला परिवार दो फाड़ हो चुका है, पार्टी में टूट हो चुकी है. हरियाणा में ऐसा पहली बार हो रहा है जब चौधरी देवीलाल की जयंती के मौके पर चौटाला परिवार अलग-अलग रैलियां कर रहा है. चाचा-भतीजे के बीच विरासत की इस लड़ाई में दादा ओम प्रकाश चौटाला भले ही चाचा अभय चौटाला के साथ खड़े हों लेकिन सच्चाई यही है कि भतीजे दुष्यंत चौटाला ने अपनी अलग पार्टी JJP बनाकर सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को ही पहुंचाया है.
चौटाला परिवार के दोनों ही धड़े चौधरी देवी लाल के नाम पर लोगों से वोट मांग रहा है लेकिन फिलहाल हरियाणा की राजनीतिक परिस्थितियां बता रही हैं कि चौधरी देवी लाल की विरासत चाहे जिसको भी मिले लेकिन इस विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़ना भारी पड़ सकता है.