IND-AUS Meet: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली 2+2 वार्ता यानी दोनों देशों के रक्षा और विदेश मंत्रियों की संयुक्त बैठक आज नई दिल्ली में आयोजित हो रही है. इस महत्वपूर्ण वार्ता में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भारत के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. वहीं ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरीसे पायने और रक्षा मंत्री पीटर ड्यूटन भी इस बैठक के लिए भारत पहुंच चुके हैं. साथ ही इस बैठक में दोनों पक्षों से रक्षा और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे.
महत्वपूर्ण है कि, 4 जून 2020 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई वर्चुअल शिखर बैठक के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय रिश्तों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर ले जाने का फैसला किया था. दोनों देशों के बीच हो रही पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता इसी निर्णय की कड़ी है. आज होने वाली बैठक के एजेंडे में साझा हित के द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बात होगी.
बैठक में अफगानिस्तान संकट भी अहम मुद्दा
इस बैठक का एक अहम मुद्दा अफगानिस्तान संकट भी है जिसको लेकर दोनों पक्षों की साझा चिंताएं हैं. ऑस्ट्रेलिया के सैनिक जहां अफगानिस्तान में तैनात थे वहीं भारत ने वहां कई विकास परियोजनाओं के लिए लाखों डॉलर का निवेश किया था. हालांकि तालिबानी निजाम के आने से दोनों ही देशों के लिए समीकरण बदल गए हैं. ऑस्ट्रेलिया तालिबानी कैबिनेट में सिराजुद्दीन हक्कानी समेत आतंकी चेहरों को शामिल किए जाने को लेकर नाखुशी जता चुका है. वहीं महिलाओं, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी को लेकर भी अपने असंतोष का इजहार कर चुका है.
भारत और ऑस्ट्रेलिया की इस 2+2 वार्ता से पहले हुई दोनों रक्षा मंत्रियों की बैठक में भी अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा हुई. सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत भी अफगानिस्तान में कट्टरपंथी ताकतों के मजबूत होने को लेकर चिंतित है. साथ ही तालिबान राज में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन को लेकर आ रही रिपोर्ट पर फिक्र करता है. ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ड्यूटन ने इस बात पर सहमति जताई कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से पारित प्रस्ताव 2593 के जरिए तालिबान सरकार की जवाबदेही का अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाना चाहिए. गौरतलब है कि भारत की अगुवाई में हुई सुरक्षा परिषद की बैठक ने इस प्रस्ताव में साफ कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद और किसी भी दूसरे देश पर हमले के लिए नहीं होने देना चाहिए.
रणनीतिक तालमेल और सामरिक सहयोग बढ़ाने के लिहाज से अहम है ये बैठक
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रणनीतिक तालमेल और सामरिक सहयोग बढ़ाने के लिहाज से भी 2+2 वार्ता की यह कड़ी महत्वपूर्ण है. बहुत कम देशों के साथ भारत ने 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठकों की व्यवस्था बनाई है, अभी तक केवल इस तरह की बैठकें रूस और जापान के साथ ही आयोजित की गई हैं. वहीं बीते दिनों रूस के साथ भी 2+2 वार्ता का ऐलान किया गया है. अभी रूस के रक्षा और विदेश मंत्रियों के साथ संयुक्त बैठक का आयोजन होना बाकी है.
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, ऑस्ट्रेलिया के साथ 2+2 वार्ता शुरू करने का भारत का निर्णय दोनों देशों के संबंधों में आई गहराई का नमूना है. विभिन्न स्तंभों पर नियमित परामर्श का एक सक्रिय तंत्र है, जिसमें प्रधानमंत्रियों की सालाना बैठक, विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत का तंत्र, व्यापार, ऊर्जा और शिक्षा जैसे मुद्दों पर मंत्रिस्तरीय बातचीत की व्यावस्था शामिल है. इसके अलावा रक्षा नीति में तालमेल, सैन्य स्टाफ वार्ताओं और साझा युद्धाभ्यासों को भी दोनों देशों ने बढ़ाया है.
क्वाड शिखर सम्मेलन के मद्देनजर भी अहम है ये बैठक
जल्द ही वाशिंगटन में क्वाड शिखर सम्मेलन का भी आयोजन होना है. उस से पहले हो रही भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्ता में समुद्री सहयोग, रक्षा प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान, लॉजिस्टिक सपोर्ट, साइबर क्षमताओं, रणनीतिक सामग्री, जल संसाधन प्रबंधन, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण समेत व्यापक एजेंडा पर बात होनी है. इस बैठक का उद्देश्य अधिक ठोस नतीजों के लिए एक प्रभावी खाका तैयार करना है।
ध्यान रहे कि, भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 2014 में परमाणु सहयोग समझौते पर दस्तखत किए गए थे. वहीं 2015 में दोनों देशों ने व्हाइट शिपिंग सूचना विनिमय पर तकनीकी करार किया था. साथ ही 2020 में लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते पर मुहर लगाने के साथ रणनीतिक सहयोग के नए अध्याय को भी शुरु किया है. इसके सहारे भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं के बीच आपसी तालमेल और सहयोग आसान हो गया है.
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती को लेकर ऑस्ट्रेलिया चिंतित
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती चुनौती को लेकर ऑस्ट्रेलिया भी चिंतित है. यही कारण है कि वो भारत के साथ अपनी नजदीकी बढ़ाने में जुटा है, साथ ही अनेक अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर भारत का समर्थन भी करता है. ऑस्ट्रेलिया परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के उस छोटे समान विचारधारा वाले समूह का सदस्य है, जो एनएसजी में भारत के प्रवेश का लगातार समर्थन करता रहा है.
चीन पर अपनी निर्भरता कम करने में जुटे भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक लचीला और मजबूत बनाए जाने की दुहाई दे रहे हैं. इसके लिए नए प्रयासों के साथ साथ लगभग 20 अरब अमेरिकी डॉलर के सालाना कारोबार को भी बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. जिसके लिए एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते को लेकर दोनों देशों की बातचीत काफी आगे बढ़ी है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया प्राकृतिक संसाधनों का एक पावरहाउस भी है जिसके पास कई प्रकार के महत्वपूर्ण खनिजों का बड़ा भंडार हैं और जाहिर है भारत को इनकी जरूरत भी है.
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