Independence Day 2022: जानिए कौन थे दादाभाई नौरोजी? जिन्होंने लुटेरे अंग्रेजों की पोल खोल दी
दादाभाई नौरोजी 1885 में कांग्रेस की स्थापना के बाद उसके प्रमुख नेता के तौर पर जाने गए. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी तीन बार संभाली.
Grand Old man Of India: हमारा देश वर्षों तक अंग्रेजी हुकूमत का गुलाम रहा. अंग्रेजों ने हिंदुस्तान की जनता पर अनगिनत अत्याचार किए. जिसके विरोध में देश में समय-समय पर विद्रोह होते रहे. इन विद्रोहों का स्वरूप कभी छोटा होता तो कभी ये विद्रोह इतने बड़े होते कि अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला देते थे.
1857 के विद्रोह की व्यापकता इसका उदाहरण है. लेकिन अंग्रेजों के खिलाफ संगठित तरीके से आंदोलन तभी चला जब कांग्रेस जैसा संगठन अस्तित्व में आया. कांग्रेस से ही दादाभाई नौरोजी जुड़े हुए थे. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा लुटेरा बन देश की संपत्ति को ब्रिटेन ले जाने का खुलासा किया. हम अपने आर्टिकल में दादाभाई नौरोजी के बारे में आपको बताएंगे-
दादाभाई नौरोजी के बारे में जानिए सबकुछ-
दादाभाई नौरोजी का जन्म 4 सितंबर 1925 ई. को एक पारसी परिवार में हुआ था. वह भारतीय राजनीति में बौद्धिकता के एक स्तंभ थे. उन्होने अपने प्रांरंभिक करियर के तौर पर प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएं दीं. वह एक सुधारक भी थे.
भारत के आर्थिक दोहन का सिद्धांत दिया-
दादाभाई नौरोजी जब 1955 में भारत से ब्रिटेन पहुंचे थे तो उन्होंने वहां बेहतर जीवन स्तर और विकास देखा. हिंदुस्तान से ब्रिटेन की तुलना करते हुए वह बहुत आश्चर्य में थे कि आखिर कैसे ब्रिटेन इतनी विकसित है. इसी बात को जेहन में रखकर उन्होंने लंबे समय तक इसके बारे में जानकारियां जुटाईं.
आखिरकार उन्होंने जो बात कही उससे पूरे देश को समझ आ गया कि अंग्रेज हिंदुस्तान को लूट रहे हैं. उन्होंने इसका खुलासा अपनी पुस्तक 'पॉवर्टी एंड अनब्रिटिश रूल इन इंडिया' में किया था.
दादाभाई नौरोजी के प्रयासों का ही नतीजा था कि आगे चलकर देश में यह जनमत तैयार हुआ कि भारत के आर्थिक पिछड़ेपन और गरीबी का कारण अंग्रेज हैं. उन्होंने इस बात का खुलासा अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा देश का धन ब्रिटेन ले जाया जा रहा है. उन्होंने कहा था कि "भारत को इस कदर लूटा जा रहा है कि उसे इस लूट से दम लेने का अवकाश ही नहीं मिलता".
ब्रिटेन की संसद में चुने गए-
दादाभाई नौरोजी एशिया के पहले ऐसे व्यक्ति थे जो चुनाव जीतकर ब्रिटिश संसद में पहुंचे. वहां उन्होंने अंग्रेजी सत्ता के द्वारा भारत में किए जा रहे ज़ुल्म और अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई. उन्होंने ब्रिटिश संसद में महिला अधिकारों को लेकर भी मुखरता से विचार रखे.
कांग्रेस का किया नेतृत्व-
दादाभाई नौरोजी 1885 में कांग्रेस की स्थापना के बाद उसके प्रमुख नेता के तौर पर जाने गए. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी तीन बार संभाली. वह आखिरी बार 1906 में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. दादाभाई नौरोजी को 'ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया' कहा जाता है.
ये भी पढ़ें- Independene Day 2022: अंग्रेजों की लाठी से हुए थे लहूलुहान, पिता से भी जताते थे असहमति, ऐसे थे आजादी के नायक नेहरू