Dr. Verghese Kurien: किसी भी देश की सफलता और उसके विकास में बहुत से लोगों का हाथ होता है. 75 साल में अंग्रेजों की गुलामी से आजादी से लेकर अब तक देश ने बहुत तरक्की है. जो देश आजादी के वक्त खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था वो आज दुनिया को अनाज का निर्यात करता है. हमारा देश तमाम अलग-अलग क्षेत्रों में तमाम तरह की चीजों के उत्पादन में अग्रणी है.
देश के अग्रणी बनने के पीछे कोई चमत्कार नहीं बल्कि उन तमाम लोगों की मेहनत और नेतृत्व है जो अपनी योग्यता के बलबूते संबंधित क्षेत्रों में क्रांति लेकर आए. ऐसे ही एक व्यक्तित्व है 'वर्गीज कुरियन' जिनके प्रयासों से देश में दुग्ध क्रांति हुई. जिसके बाद कहा जाने लगा कि भारत में दूध की नदियां बहती हैं. अपने इस आर्टिकल में हम वर्गीज कुरियन और उनके नेतृत्व में हुई दुग्ध क्रांति के बारे में आपको बताएंगे-
आपरेशन फ्लड या दुग्ध क्रांति-
दूध एक महत्वपूर्ण आहार है जो शारीरिक मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है. 70 के दशक तक भारत में दूध का उत्पादन ठीक-ठाक तो था लेकिन जनसंख्या और मांग के हिसाब यह काफी कम था. इसी को देखते हुए दूध की कमी को दूर करने के लिए 13 जनवरी 1970 को भारत में 'ऑपरेशन फ्लड' की शुरुआत की गई.
इसी को दुग्ध क्रांति या श्वेत क्रांति का नाम दिया गया. इसके बाद भारत में दूध के उत्पादन में व्यापक वृद्धि हुई हुई. यह वृद्धि इतने बड़े पैमाने पर हुई कि भारत दूध का उत्पादन करने के मामले में दुनिया का शीर्ष देश बन गया.
वर्गीज कुरियन: श्वेत क्रांति के जनक-
श्वेत क्रांति के जरिए दूध के उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि वर्गीज कुरियन के नेतृत्व में हुई थी. इसीलिए उन्हें श्वेत क्रांति का जनक कहा जाता है. वह लंबे समय से ही दूध के उत्पादन कार्य से जुड़े हुए थे. वर्गीज कुरियनने डेयरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी.
उन्होंने जमशेदपुर स्थित टिस्को में भी कुछ समय तक काम किया था. आगे चलकर 1949 में वह एक डेयरी ( कैरा डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन लिमिटेड) से जुड़े और उसका काम संभाल लिया. बाद में इसी डेयरी का प्रसार किया गया और आगे चलकर इसका नाम'अमूल' कर दिया गया. अमूल आज दूध के उत्पादन और बिक्री में देश का शीर्ष ब्रांड है.
'श्वेत क्रांति' लाने वाले डॉ.कुरियन नहीं पीते दूध-
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 'दुग्ध क्रांति' के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को दूध पीना पसंद नहीं है. हालांकि ऐसे बहुत से लोग हैं जो दूध नहीं पीते हैं. लेकिन जब हम इस बात को वर्गीज कुरियन के बारे में यह सुनते हैं तो थोड़ा आश्चर्य होता है कि आखिर क्यों देश में दूध की नदियां बहाने वाला व्यक्ति खुद ही दूध नहीं पीता है. इसके बारे में वर्गीज कुरियन ने बताया था कि उन्हें दूध पीना पसंद नहीं है.
'दुग्ध क्रांति' के जनक को मिले हैं ढेरों सम्मान-
डॉ. वर्गीज कुरियन को दुग्ध उत्पादन में उनके क्रांतिकारी योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है. उन्हें सरकार के द्वारा पद्म विभूषण, पद्मश्री और पद्म भूषण सम्मान दिया गया था. इसके अलावा उन्हें एशिया का नोबेल कहे जाने वाले रेमन मैग्सेसे पुरस्कार भी मिला. उन्हें अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय व्यक्ति का वर्ष का पुरस्कार भी मिला. इसके अलावा और भी ढेरों पुरस्कारों से उन्हें नवाजा गया. वर्गीज कुरियन ने अपना लंबा समय दुग्ध क्रांति के जरिए लोगों के कल्याण में दिया. 9 सितंबर 2012 को उनका देहांत हो गया.