Veer Abdul Hameed: हमारे देश का इतिहास वीरता और शौर्य की कहानियों से भरा पड़ा है. जहां आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने बलिदान और धैर्य के बलबूते ब्रिटिश ताकत को झुकाया था वहीं आजादी के बाद देश के दुश्मनों को हमारी सेना के जवानों ने भी हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. जब भी हमारे देश के ऊपर खतरा मंडराया हिंदुस्तान के सपूतों ने अपनी आखिरी सांस तक देश की रक्षा की है. ऐसे ही एक वीर सपूत थे शहीद अब्दुल हमीद.अपने इस आर्टिकल में हम आपको उनके शौर्य और पराक्रम के बारे में बताएंगे-
वीर अब्दुल हमीद के बारे में-
उनका जन्म 1 जुलाई 1933 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित धामूपुर गांव में हुआ था. वह 20 साल की उम्र में भारतीय सेना का हिस्सा बने. ट्रेनिंग के बाद 1955 में 4 ग्रेनेडियर्स में वीर अब्दुल हमीद की तैनाती हुई थी.
1965 के युद्ध में दिखाया था पराक्रम-
1962 में जब भारत चीन से हार गया तो पाकिस्तान ने इसे अपने लिए अवसर समझा था. उस वक्त देश में राजनीतिक अस्थिरता का भी माहौल था. पाकिस्तान ने 1965 में भारत पर आक्रमण कर दिया. उस वक्त वीर अब्दुल हमीद की तैनाती पंजाब के तरनतारन जिले के खेमकरण सेक्टर में थी.
वो 8 सितंबर की रात थी जब पाकिस्तान ने अमेरिकन पैटन टैंक को युद्ध के मैदान में उतारा. ये टैंक अपराजेय माने जाते थे. लेकिन अब्दुल हमीद ने कम संसाधनों के बावजूद भी पाकिस्तान सेना में तबाही मचा दी. हिंदुस्तान का एक सिपाही जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना पाकिस्तान के उन शक्तिशाली टैंकों को भी ध्वस्त कर दिया जिनको लेकर पाकिस्तान इतरा रहा था.
एक तरफ जहां पाकिस्तानी टैंक गोले बरसा रहे थे वहीं दूसरी ओर अब्दुल हमीद उनके टैंकों को ध्वस्त करते जा रहे थे. उन्होंने एक के बाद एक कुल 7 टैंकों को ध्वस्त कर डाला. अपनी आखिरी सांस तक वह देश के लिए पूरे जज़्बे के साथ लड़े.
पाकिस्तानी खेमे में मचा दी थी खलबली-
पाकिस्तानियों को ये अंदेशा नहीं था कि चीन से पराजय के बाद भी भारतीय सैनिकों में इतना जज़्बा है. जबकि भारतीय सैनिक घायल शेर की तरह हो चुके थे. जब पाकिस्तान ने हमला किया उनकी सेना को इस कदर नेस्तनाबूद कर दिया कि हिंदुस्तान चाहता तो पाकिस्तान का एक बड़ा हिस्सा अपने में मिला लेता.
इस युद्ध में अब्दुल हमीद ने इतना महान पराक्रम दिखाया कि पाकिस्तानी सैनिकों के खेमे में खलबली मच गई थी. उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों को अपने साथियों के साथ खदेड़ दिया. पाक सेना का पीछा करने के दौरान 9 सितंबर को उनकी जीप पर बम का एक गोला आ गिरा. जिसमें वह बुरी तरह घायल हो गए और इसी के चलते भारत माता का लाल शहीद हो गया.
दिया गया परमवीर चक्र-
वीर अब्दुल हमीद के पराक्रम,शौर्य और बलिदान को देखते हुए उन्हें मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया था. आजादी के 75वें साल के अवसर पर पूरा देश इस महान देशभक्त को नमन करता है.