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Independence Day 2024: जब लॉर्ड माउंटबेटन से अचानक पूछ ली गई थी आजादी की तारीख, कैसे तय हुआ था 15 अगस्त का दिन?

Independence Day 2024: भारत में स्वतंत्रता सेनानियों ने साल 1930 में ही आजादी का ऐलान कर दिया था, लेकिन पूरी आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली. मगर आजादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों, तय हुई? आइए जानते हैं.

Independence Day 2024: भारत आजादी का 78वां सालगिरह मना रहा है. आज के समय विकासशील देश कहलाने वाला भारत कभी अंग्रेजों का उपनिवेश हुआ करता था. उपनिवेश यानी ‘गुलामी’ जहां बड़े और ताकतवर देश छोटे देशों पर कब्जा कर उस पर शासन किया करते थे.

भारत की आजादी की लड़ाई काफी लंबी रही और इसके लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी जान को दांव पर लगा दिया. भारत में स्वतंत्रता सेनानियों ने साल 1930 में ही आजादी का ऐलान कर दिया था, लेकिन पूरी आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली. मगर आजादी की तारीख 15 अगस्त ही क्यों, क्या इसकी कोई वजह थी? आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं.

आजादी के लिए कैसे तय हुआ 15 अगस्त?

फ्रेंच लेखक डॉमिनिक लापियरे और लैरी कॉलिंस ने अपनी किताब 'फ्रीडम एट मिडनाइट' में भारत के आजाद होने की तारीख के बारे में उल्लेख किया है. किताब में लिखा गया है कि कई बैठकों के बाद जब तत्कालीन गर्वनर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन भारत की आजादी को लेकर प्रेस काफ्रेंस कर रहे थे तब उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वो भारत की आजादी की तारीख तय कर चुके हैं?

अचानक पूछे गए इस सवाल के लिए माउंटबेटन तैयार नहीं थे, लेकिन उन्होंने सोचा कि इसका जवाब देना जरुरी है और झटपट उन्होंने एक तारीख सोचने के लिए दिमाग पर जोर डाला. उन्हें याद आने लगा 15 अगस्त 1945 का वो गौरवमयी दिन, जब जापान ने दित्तीय विश्व युद्ध में अपना आत्मसमर्पण उन्हें सौंपा था. माउंटबेटन द्वितीय विश्व युद्ध में दक्षिण-पूर्व एशिया कमान के सर्वोच्च सहयोगी कमांडर थे. उन्होंने ही द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान के आत्मसमर्पण को स्वीकार किया था. 

इसके बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 की तारीख तय कर दी. ये तत्काल लिया गया फैसला था. इस घोषणा के बाद ब्रिटेन की संसद ने 'इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947' में माउंटबेटन द्वारा तय किए गए तारीख को मंजूर कर दिया.

हमें आजादी ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ के तहत मिली थी. एक्ट को ब्रिटिश संसद के दोनों सदनों से 18 जुलाई 1947 को पास कराया गया था. इस एक्ट के तहत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश सरकार भारत से अपना उपनिवेश खत्म करने वाली थी. 

क्या था इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट? 

ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान भारत में ब्रिटेन सरकार का एक प्रतिनिधि होता था जिसे भारत में वायसराय के तौर पर नियुक्त किया जाता था. तब ब्रिटिश शासन के दौरान एक परंपरा थी कि जो भारत का वायसराय होगा वही भारत का गवर्नर-जनरल भी होगा. 

ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने ‘इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट 1947’ को पास किया था. इसके एक्ट के मुताबिक भारत पर ब्रिटिश उपनिवेश को खत्म कर इसे दो डोमिनियन में बांटा गया. इन दो डोमिनियन का नाम था भारत और पाकिस्तान. 

डोमिनियन का मतलब किसी राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर प्रतीकात्मक तौर से आधिपत्य जाहिर करना. हालांकि इसी एक्ट में भारत और पाकिस्तान को ये शक्ति भी दी गई थी कि वे डोमिनियन स्टेटस न अपनाकर संप्रभु राष्ट्र बन सकते हैं. भारत और पाकिस्तान को इस एक्ट की सभी शर्तों को खारिज करने का भी विकल्प दिया गया था. हालांकि हमारा संविधान जब तक बनकर तैयार नहीं हो गया तब तक गवर्नर-जनरल के पद को खारिज नहीं किया गया.

भारत 15 अगस्त 1947 से लेकर 26 जनवरी 1950 तक ब्रिटेन का डोमिनियन बना रहा. इसके बाद भारतीय संविधान लागू हो गया और इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट की शर्तों को ख़ारिज कर दिया गया. हालांकि पाकिस्तान 1956 तक ब्रिटेन का डोमिनियन बना रहा. 

महात्मा गांधी ने आजादी मनाने के लिए क्या अपील की थी?

रामचंद्र गुहा कि किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में बताया गया है कि महात्मा गांधी ने 1931 में पूर्ण स्वराज की मांग के बाद यंग इंडिया में उन्होंने आजादी का खास दिन को कैसे मनाया जाना चाहिए, इसपर एक लेख लिखा था. 

किताब के मुताबिक गांधी ने लिखा था, "लोगों को ये दिन रचनात्मक कार्यों को करने में बिताना चाहिए. चाहे वो चरखा चलाना हो या 'अछूतों' की सेवा करना हो, हिंदू-मुसलमान का मिलन हो या फिर किसी भी काम को करने से इनकार करना हो. ये सारे काम एक साथ भी किए जा सकते हैं, ये असंभव नहीं है." 

उन्होंने लिखा था, "भारत की आज़ादी में हिस्सा लेने वाले लोग इस बात की शपथ लें कि 'आजादी, भारतीय जनता और दुनिया के किसी भी हिस्से में रहने वाली जनता का प्राकृतिक अधिकार है ताकि वे अपनी मेहनत के फल के अधिकारी खुद हों और अगर कोई भी सरकार उनको इस हक से वंचित कर उनका दमन करती है तो उन्हें ये अधिकार है कि वे इसका विरोध करें और उस सत्ता को खत्म कर दें."

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