Uniform Civil Code: 'देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत', लाल किला से PM मोदी ने दिया UCC लाने पर जोर
Uniform Civil Code: यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर काफी ज्यादा सियासत देखने को मिली है. इसी साल मार्च में यूसीसी को बीजेपी शासित उत्तराखंड में लागू भी किया गया है.
PM Modi on UCC: यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (15 अगस्त) को इस पर सरकार का स्टैंड पूरी तरह से क्लियर कर दिया. लाल किले की प्राचीर से लगातार 11वीं बार देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने देश में यूसीसी लाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि देश को कम्युनल नहीं, बल्कि इस वक्त सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत है. वह लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद पहली दफा देश को संबोधित कर रहे थे.
देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि जिस सिविल कोड में हम जी रहे हैं, वो कम्युनल सिविल कोड है. मैं कहूंगा कि यह समय की मांग है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड हो, तभी हम धर्म के आधार पर भेदभाव से मुक्त हो सकेंगे. बीजेपी की तरफ से लगातार ही यूसीसी लागू करने की बात कही गई है. बीजेपी शासित उत्तराखंड में मार्च महीने में यूसीसी लागू किया गया. इस तरह वह देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हुआ.
देश को सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, "हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है. कोर्ट की तरफ से कई बार आदेश दिए गए हैं. देश का एक बड़ा वर्ग मानता है कि सिविल कोड सांप्रदायिक है. इस बात में सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वो एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है. ये भेदभाव करने वाला सिविल कोड है. आज हम संविधान के 75 वर्ष जब मनाने जा रहे हैं तो इसकी भावना और देश की सुप्रीम कोर्ट भी हमें यही कहती है."
#WATCH | PM Narendra Modi says, "Supreme Court has held discussions regarding Uniform Civil Code again and again, it has given orders several times. A large section of the country believes - and it is true, that the Civil Code that we are living with is actually a Communal Civil… pic.twitter.com/0JZc6EpbVn
— ANI (@ANI) August 15, 2024
उन्होंने आगे कहा, "संविधान निर्माताओं का जो सपना था, उसे पूरा करना हमारा दायित्व है. मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर चर्चा हो. हर कोई अपने विचारों को लेकर आए. धर्म के आधार पर बांटने वाले कानूनों का समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है. अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो. हमने कम्युनल सिविल कोड में 75 साल बिताए हैं, अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा. तब जाकर हमें धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से मुक्ति मिलेगी."