Independence Day 2024: भारत की आजादी के दौरान रियासतों के भारत में एकीकरण के लिए लॉर्ड माउंट माउंटबेटन भारत के पक्ष में खड़े हो गए थे. इससे हिंदुस्तान का पलड़ा भारी हो गया. हालांकि, वो व्यक्ति जिन्होंने माउंटबेटन को इस मुद्दे पर राजी किया था वीपी मेनन, उनमें एक डर सा बैठ गया था. 


आजादी के बाद वीपी मेनन ने रिटायरमेंट लेने का मन बनाया. हालांकि रिटायरमेंट की जगह वीपी मेनन को सरदार वल्लभभाई पटेल की ओर से बुलावा आया. सरदार वल्लभभाई पटेल ने वीपी मेनन से कहा कि देश आजाद हो रहा और तुम रिटायर होकर आजाद होना चाहते हो. वीपी मेनन ने कहा कि 20 साल से काम कर रहा हूं और कभी नहीं सोचा था कि आजाद भारत में सांस ले सकूंगा, अब ये सपना पूरा हो गया है. सोचा कि अब रिटायरमेंट ले लेनी चाहिए.'


वीपी मेनन की रिटायरमेंट पर क्या बोले पटेल?


वीपी मेनन ने पटेल से कहा कि आप जानते हैं कि पूरी उम्र मैंने अंग्रेजों के साथ काम किया है. इसके बाद पटेल बोले कि मेनन, अंग्रेजों की नौकरी तुम्हारी तरह सरकारी नौकरी करने वाले हजारों हिंदुस्तानियों की मजबूरी थी और अब ये देश तुम लोगों की मदद के बिना नहीं चल सकता. ये वक्त थकने का और रिटायर होकर रास्ते से अलग हटने का नहीं है. 


मेनन ने क्यों किया विश्वास को लेकर सवाल?


वीपी मेनन ने इसके बाद बेहद चौंकाना वाला सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि क्या आप हम पर सौ प्रतिशत भरोसा कर पाएंगे. मेनन के सवाल के बाद पटेल ने जवाब देते हुए कहा, 'मेनन, तुम जानते हो अंग्रेज जिस हाल में हिंदुस्तान आए थे, उसी हाल में हिंदुस्तान को छोड़कर जा रहे हैं. एक टूटा हुआ, बिखरा हुआ भारत.'


'नहीं बनने देंगे भारत भाग्य विधाता'


पटेल ने कहा, 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक कितने राजा-महाराजा हैं. नियत क्या है उनकी? इन 565 रियासतों में से सैंकड़ों आजाद मुल्क बनने का ख्वाब देख रहे हैं. उन्हें अंग्रेज चाहिएं, ब्रिटेन की गुलामी उन्हें मंजूर है लेकिन हमारे साथ बैठना वो अपनी तौहीन समझते हैं. ऐसे लोगों को भारत का भाग्य विधाता नहीं बनने देंगे और एक बाद याद रखना मेनन 15 अगस्त, 1947 को देश आजाद हो रहा है लेकिन कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत को एक धागे में बांधकर रखने का काम हमको एक साथ मिलकर करना है.'


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