Independence Day India 2022: स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे सी राजगोपालाचारी अपनी किताब 'जेल डायरी' में कहते हैं ''राजनीतिक कैदियों के साथ बर्ताव के मामले में बहुत काम किया जाना बाकी है. जहां तक मैं देख सकता हूं, उनके साथ अपराधियों की तरह व्यवहार किया जाता है." 1922 में प्रकाशित यह किताब अनगिनत, गुमनाम नायकों के दुख और स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जेल में उनके द्वारा सहे गए दर्द का आंखों-देखा वर्णन पेश करती है.
अत्याचारों के निशान शरीर पर..
राजाजी (1879-1972) के नाम से लोकप्रिय, प्रतिष्ठित नेता वेल्लोर केंद्रीय जेल में बंद होने के दौरान अपने अनुभवों को इस किताब के जरिए साझा करते हैं. वे लिखते हैं, ''उनके चेहरे आकर्षक थे. शेषा रेड्डी एक मजबूत कद काठी के युवा थे. जेल अधिकारियों द्वारा किए गए अत्याचारों के निशान उनके शरीर पर देखे जा सकते थे." स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल और उस पद पर आसीन होने वाले अंतिम व्यक्ति का कहना है कि जेल प्रशासन की पूरी व्यवस्था दास श्रम के समान थी. यह पुस्तक इस बात पर प्रकाश डालती है कि ब्रिटिश शासन ने सत्याग्रहियों और अन्य कैदियों के साथ कैसा व्यवहार किया.
मोहम्मद गौस की इबादत मेरी मौन प्रार्थना..
राजाजी कहते हैं कि ऐसे विशिष्ट कार्य जिसमें मवेशियों की आवश्यकता होती थी, पुरुषों से काम लिया जाता था और उनके साथ दासों जैसा बर्ताव किया जाता था. राजाजी बताते हैं कि दो कैदियों सुब्बा राव और वेंकट राव को सजा के तौर पर एकांत कोठरियों में रखा गया था. राजाजी कहते हैं- ''मेरे पड़ोसी मोहम्मद गौस की इबादत मेरी मौन प्रार्थना के साथ कितनी खूबसूरती से घुलमिल जाती थी, फिर भी कैसे दोनों समुदायों ने एक-दूसरे के साथ युद्ध किया और मार-काट मचायी, समाज में नफरत की गलतफहमी अभी भी जारी है.''
डायरी की एक प्रति तमिलनाडु सरकार के पास
राजाजी को तीन महीने के लिए साधारण कारावास की सजा सुनाई गई थी जिसके बाद उन्हें 21 दिसंबर 1921 को वेल्लोर सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया था. तब वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव थे. डायरी उस समय की उथल-पुथल की घटनाओं को जीवंतता प्रदान करती है, जैसे कि स्वतंत्रता की मांग में राष्ट्रव्यापी हड़तालें, और स्वतंत्रता सेनानियों को कारावास. डायरी की एक प्रति तमिलनाडु सरकार के अभिलेखागार और ऐतिहासिक अनुसंधान के पास उपलब्ध है.