India Centrally Protected Monuments Missing: देश में केंद्र सरकार की ओर से संरक्षित 50 स्मारक गायब हो गए हैं. केंद्र सरकार ने इस संबंध में संसद में जानकारी दी है. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि देश के 3,693 केंद्रीय संरक्षित स्मारकों (Centrally Protected Monuments) में से 50 स्मारक लापता हैं. केंद्र सरकार ने कहा है कि स्मारकों का गायब होना गंभीर चिंता की बात है.
लापता स्मारकों में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के 11 स्मारक शामिल हैं. इसके साथ ही दिल्ली और हरियाणा में दो-दो स्मारक गायब बताए गए हैं. इस लिस्ट में असम, उत्तराखंड समेत कई और राज्यों के स्मारक भी शामिल हैं.
केंद्रीय संरक्षित 50 स्मारक लापता
संसद में 8 दिसंबर को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय (Ministry of Culture) की ओर से कहा गया, ''यह गंभीर चिंता का विषय है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (संस्कृति मंत्रालय) के संरक्षण में राष्ट्रीय महत्व के कई स्मारक तेजी से शहरीकरण, जलाशयों और बांधों की वजह से जलमग्न होने के कारण पिछले कुछ सालों में लापता हो गए हैं. दूरस्थ स्थानों और घने जंगलों में पता लगाने में दिक्कतों की वजह से कुछ स्मारक गायब हुए हैं''
8 दिसंबर को संसद में जानकारी
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से 8 दिसंबर को परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति को एक रिपोर्ट के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक कमेटी ने 18 मई 2022 को संस्कृति सचिव गोविंद मोहन, एएसआई महानिदेशक वी विद्यावती और कई वरिष्ठ अधिकारियों के विचार सुने थे.
क्यों और कहां से लापता हैं स्मारक?
केंद्र सरकार की ओर से संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक लापता स्मारकों में 11 स्मारक यूपी के शामिल हैं. इसमें दिल्ली और हरियाणा के भी दो-दो स्मारक शामिल हैं. इसके अलावा सूची में असम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश और उत्तराखंड के स्मारक भी शामिल हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के मुताबिक इन स्मारकों में से 14 तेजी से शहरीकरण के कारण खो गए हैं, जबकि 12 जलाशयों या बांधों से जलमग्न हैं. बाकी 24 स्मारकों के स्थान अनट्रेसेबल हैं.
स्मारकों को संरक्षित नहीं किया गया?
अधिकारियों ने बताया कि इनमें कई स्मारक शिलालेखों से जुड़े थे, जिनका कोई निश्चित स्थान पता नहीं है. इन्हें स्थानांतरित या क्षतिग्रस्त किया जा सकता है और उनका पता लगाना मुश्किल हो सकता है. अधिकारियों ने ये भी कहा कि 1930, 40 और 50 के दशक में केंद्रीय रूप से संरक्षित स्मारकों की एक बड़ी संख्या की पहचान की गई थी और आजादी के बाद के दशकों में उन्हें संरक्षित करने के बजाय नए स्मारकों की खोज पर ध्यान केंद्रित किया गया था.
रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने बताया कि आजादी के बाद की सरकारों की प्राथमिकताएं स्वास्थ्य और विकास रही, इसलिए विरासत को भी नजरअंदाज किया गया. अब भी कई बड़े और छोटे स्मारक (Monuments) देखभाल में कमी की वजह से विलुप्त होने के कागार पर हैं.